प्रदेश का जिला बिजनौर: एक गौरवशाली इतिहास

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प्रदेश का जिला बिजनौर: एक   गौरवशाली इतिहास।                

आलेख : वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार, ओम प्रकाश चौहान, हल्दौर जिला बिजनौर

हिमालय पर्वत श्रृंखला से सटा हुआ उत्तरी भारत एवं उत्तर प्रदेश का एक जिला बिजनौर, जिसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है। कृषि प्रधान जिला यहां एशिया की प्रसिद्ध धामपुर शुगर मिल के साथ-साथ गेहूं, सरसों, कपास, चावल, उड़द व तिलहन सभी फसल भरपूर मात्रा में पैदा की जाती हैं। आज हम आपको बिजनौर जिले के गौरवशाली इतिहास के बारे में बता रहे हैं। पढ़िए समाजसेवी एवं स्वतंत्र पत्रकार ओम प्रकाश चौहान का विशेष आलेख। आज के बिजनौर जिले को मुग़ल काल में मधि क्षेत्र कहा जाता था जिसमें अमरोहा, बिजनौर और ठाकुरद्वारा शामिल थे। बाद में नजीबाबाद शहर भी बिजनौर जिले में शामिल कर दिया गया। इसके साथ अमरोहा, ठाकुरद्वारा को मुरादाबाद में शामिल कर दिया गया। ये सब सूबे; संभल का हिस्सा थे, जो मुरादाबाद में ही आता था। यहाँ पर राजपूत राजा नवल सिंह चौहान राज्य करते थे। सन 1530 में बाबर की मृत्यु के बाद उसके सेनापति फतेहउल्लाह खां तुर्क ने राजा नवल सिंह चौहान को युद्ध में मारकर उनके राज्य पर अधिकार कर लिया एवं नींदर गढ़ (वर्तमान नीन्दडू जो धामपुर से लगभग तीन किलोमीटर तथा वर्तमान मधी ग्राम से 2 किलोमीटर उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है) को अपना ठिकाना बनाकर राज्य करने लगा। फ़तेह उल्ला खां तुर्क अत्यंत क्रूर शासक था, वहीं मधी क्षेत्र के वन में पिछले 25 वर्षो से एक हठी बाबा भैरो सिद्ध श्रवण अपना आश्रम गुरुकुल बनाकर शिक्षा देते थे। यह शिक्षा गुरुकुल केंद्र फ़तेहउल्लाह की आँखों में खटकता रहता था। अत: उसने एक दिन शिकार करते समय अपने सैनिकों को साथ ले जाकर आश्रम में मांस पकाकर आश्रम गुरुकुल की पवित्रता भंग कर दी, जिससे क्रुद्ध होकर हठी बाबा ने उसे उजड़ने का श्राप दे दिया और उसको समूल नष्ट करने की प्रतिज्ञा कर ली। वह स्थान स्थान पर जाकर क्षत्रिय धर्म की शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुए घूमने लगे, परन्तु कोई भी उस तुर्क से युद्ध करने को तैयार नहीं हुआ।
गढ़ गंगा पर सोमवती अमावस्या का उस समय बहुत बड़ा मेला लगता था, जिसकी अब भी बहुत मान्यता है। वहां पर उस समय पूरे देश से अनेक राजपूत राजा आते थे। महाराजा मुकुट सिंह शेखावत ने हठी बाबा की प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए फतेहउल्लाह खां से युद्ध लड़ने का प्रण किया। उनका साथ देने के लिए वहां पहुंचे 12 राजपूत राजा भी तैयार हो गए। सबने मिलकर फतेहउल्लाह खां को हरा कर 12 चौरासियां बसाई।
*मधी युद्ध में भाग लेने वाले सभी राजपूत राजाओं ने जिला बिजनौर में राज किया, ये इस प्रकार हैं…*

1- महाराज मुकुट सिंह शेखावत (मुकन्द सिंह शेखावत)- वंश – सूर्यवंश, कुल- कछवाहा, गोत्र- मानव्य, शाखा- शेखावत, उपशाखा- गिरधर जी का शेखावत। ये इस युद्ध के सेनानायक थे तथा राजस्थान जिला सीकर की रियासत खुड ठिकाने की सुजावास जागीर (सुरेडा मोहनपुरा) से आये थे। इन्होंने मोरना, भटियाना व रामगंगा पार के सरकड़ा की दो चौरासी आबाद की।
2- राजा बलभद्र सिंह गौड- सूर्यवंश कुल- गौड
ये अजमेर के पास वनखंडा से आये थे। इन्होंने हरगनपुर की चौरासी आबाद की।
3- राजा राम सिंह राजावत- सूर्यवंश, कुल- कछवाहा, गोत्र- मानव्य, शाखा- राजावत। ये आमेर जयपुर से आये थे। इन्होंने सरकड़ा- सराय की चौरासी आबाद की।
4- राजा आनंद सिंह कछवाहा- सूर्यवंश, कुल कछवाहा, गोत्र मानव्य। ये ग्वालियर के पास घावलिंग से आये थे। इन्होंने नगीना, बुडगरा की चौरासी आबाद की।
5- राजा अमरजीत सिंह हाडा- अग्निवंश, कुल- चौहान, गोत्र-वत्स, शाखा- हाडा। ये राजस्थान के कोटा के पास गोरीपुर तिलवाडी से आये थे। इन्होंने फीना की चौरासी आबाद की।
6- राजा रणधीर सिंह चौहान- अग्निवंश, कुल- चौहान, गोत्र -वत्स। ये राजस्थान के नीमराणा से आये थे। इन्होंने बसेड़ा कुंवर की चौरासी आबाद की।
7- राजा गजानन देव सिंह देवड़ा- अग्निवंश, कुल -चौहान, गोत्र-वत्स, शाखा- देवड़ा। ये राजस्थान के आबू से आये थे। इन्होंने असगरीपुर – गोहावर की चौरासी आबाद की।
8- राजा मान्धाता सिंह चौहान- अग्निवंश, कुल -चौहान, गोत्र वत्स। ये बीकानेर के पास नानक चरसुई से आये थे। इन्होंने अमखेड़ा की चौरासी आबाद की।
9- राजा रामचंद्र सिंह गहलौत- सूर्यवंश, कुल- गहलोत, गोत्र- वैशम्पायन। ये चित्तौड़गढ़ के पास दरहानी से आये थे। इन्होंने शेरकोट की चौरासी आबाद की।
10- राजा गोपीचन्द्र गहलौत- सूर्यवंश, कुल- गहलौत, गोत्र- वैशम्पायन, शाखा – सिसोदिया। ये चित्तौड़गढ़ से आये थे। इन्होंने धामपुर की चौरासी आबाद की।
11- महाराजा बाघचन्द्र त्रिलोकचंद्र बैस- सूर्यवंश, गोत्र- भारद्वाज, शाखा- डोडिया। ये कानपुर के पास डूढयाखेडा से आये थे। इन्होंने हल्दौर की चौरासी को आबाद किया था।
12- राजा मालदेव सिंह नरुका, वंश – सुर्यवंश, कुल – कछवाहा, गोत्र- मानव्य, शाखा -नरुका। ये जयपुर के पास मोजमाबाद छागलिया से आये थे। इन्होंने बिजनौर की चौरासी को आबाद किया था।

बिजनौर जिले की 200 वर्ष पुरानी हल्दौर रियासत का इतिहास:

ऐसा माना जाता है, हल्दौर को 18 वी सदी में राजपूत राजा हलदर सिंह द्वारा बसाया गया था। हल्दौर रियासत जिला बिजनौर की सबसे बड़ी रियासत थी। यह अपनी जमींदारी के लिए प्रसिद्ध थी। हल्दौर निवासी ओम प्रकाश चौहान ने बताया कि उनके स्वर्गीय पिताश्री समाजसेवी एवं किसान चौधरी तिर्मल सिंह जी ने उन्हें बचपन में बताया था कि  चौहान वंश की 200 साल पुरानी हल्दौर रियासत है, जिसे राजा बुध सिंह ने बसाया था। वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार (समाजसेवी) ओमप्रकाश चौहान ने बताया कि हल्दौर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर ज़िले में स्थित एक नगर है।

1526 ई. में हल्दौर आए थे श्री गुरुनानक देव जी:
सिक्ख पंथ के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी अपनी उपदेश यात्रा के दौरान सन 1526 ई. में हल्दौर आए थे।

लेखक के बारे में
ओम प्रकाश चौहान

12 जून 1990 से दैनिक जागरण ग्रेटर नोएडा गौतम बुध नगर दैनिक जागरण की स्थापना से पत्रकारिता की शुरुआत के बाद (दैनिक जागरण गौतम बुद्ध नगर ब्यूरो ऑफिस सेवानिवृत्ति के बाद) पत्रकारिता के क्षेत्र में वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार के रूप में अपना योगदान देते हैं। उन्हें पत्रकारिता में 34 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 1990 में दैनिक जागरण न्यूज़पेपर की स्थापना के समय नोएडा सेक्टर 8 से की थी। शुरुआत में नोएडा मे दैनिक जागरण समूह की साप्ताहिक पत्रिका (जागरण उदय एवं जागरण सखी) में सब-एडिटर के रूप में काम किया। इस दौरान हरियाणा डेस्क, राजस्थान डेस्क एवं अन्य डेस्क पर अपनी सेवाएं देते हुए 7 जनवरी 2021 में दैनिक जागरण ग्रेटर नोएडा से सेवानिवृत होने के बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य कर रहे हैं

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