गन्ना Farmer के लिए शीर्ष भेदक कीट (टॉप बोरर) पर नियंत्रण के PPO मनोज रावत के TIPS
BIJNOR : जिला कृषि रक्षा अधिकारी मनोज रावत ने सभी किसान भाईयों को जानकारी देते हुए बताया है कि वर्तमान समय में तापमान में उतार.चढ़ाव के कारण गन्ने की फसल में सामयिक कीट व रोग की सम्भावना को दृष्टिगत रखते हुए गन्ने की फसल को कीट एवं रोग से नियंत्रण एवं वचाव के लिये निम्नवत् सुझाव एवं संस्तुतियां दी जा रही है। जिनका कृषक भाई अपने गन्ने की फसलों में प्रयोग करके फसलों में लगने वाले कीट.रोगों पर प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैए जिससे गन्ने की फसल में होने वाली क्षति को रोका जा सकता है।
गन्ने में पोक्का बोइंग. यह फफूँद जनित रोग हैए जो अधिक तापमान व अधिक आर्द्रता के कारण यह रोग गन्ने की फसल में तेजी से दिखाई दे रहा है। यह गन्ने में तीन चरणों में बढता हैं। जो इस प्रकार है क्लोरोटिक चरण कटनाइफ चरण तृतीय चरण
शीर्ष सड़न
उन्होंने बताया कि इस समय क्लोरोटिक चरण गन्ने में दिखाई दे रहा है इसमें पौधे की शीर्ष वाली पत्ती के आधार पर पीला रंग आ जाता है और पत्ती लिपटकर निकलती है पत्ती छोटी व संकरी भाले के आकार की हो जाती है इसकी रोकथाम के लिये कार्बेण्डाजिम 12 प्रतिशत $ मैन्कोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 की 400 से 500 ग्राम मात्रा को 400 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 की 800 ग्राम मात्रा का 400 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे। लाल सड़न रोग. गन्ने का यह रोग बहुत हानिकारक रोग है इस रोग से ग्रसित गन्ने का नियंत्रण कर पाना कठिन होता है इसका कारण अधिक नमी व तापक्रम हैए इसमें पौधे की पत्तियां सिकुड़ने लगती है तथा लाल रंग के धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं और पत्ती की मध्य शिरा लाल हो जाती है गन्ने की गांठे लाल हो जाती है गन्ने को चीरने पर गूदा लाल रंग का तथा इसमे सिरके जैसी गंध आती है और पौधा सूख जाता है।
इसके लिये प्रबन्धन के उपायः.किसान अवमुक्त रोग रोधी गन्ना किस्म की ही बुवाई करंे। बुवाई के पूर्व कटे हुए गन्ने के टुकड़ो को ट्राईकोडर्मा की 05 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में अथवा 0ण्1 प्रतिशत कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 अथवा थायोफिनेट मिथाईल 70 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 फफँूदनाशी रसायन द्वारा बीज शोधन उपरान्त ही बुवाई करंे। मृदा का जैविक शोधन मुख्यतः ट्राईकोडर्मा की 01 किलो ग्राम मात्रा को 25.30 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से अन्तिम जुताई के समय प्रयोग करे। अधिक वर्षा होने पर लाल सड़न रोग से संक्रमित खेत का पानी दूसरे खेत में जाने से रोकने के लिये उचित मेड़ बनाये।
लाल सड़न से प्रभावित क्षेत्रों में रोगग्रस्त फसल की पेड़ी न ले। संक्रमित गन्ने की कटाई के बाद संक्रमित फसल अवशेषों को खेत से पूर्णरूपेण बाहर निकालकर नष्ट कर दें तथा गहरी जुताई कर फसल चक्र अपनाये। खड़ी फसल में इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में इसकी रोकथाम के लिए कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0 300.400 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ अथवा टेबुकोनाजोल 10 प्रतिशत सल्फर 63 प्रतिशत डब्ल्यू0जी0 की 500 ग्राम मात्रा का 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। शीर्ष भेदक कीट ;टॉप बोररद्ध. इस समय गन्ने में इस कीट का प्रकोप भी दिखाई दे रहा है इसमें शीर्ष वाली पत्ती पर समान दिशा में छर्रे जैसे छिद्र दिखाई देते हैं व अन्दर से काले तथा कभी.कभी ज्यादातर शीर्ष छिन्न.भिन्न दिखाई देते है प्रभावित पत्तियां सूखकर डेड हार्ट बना देती है तथा मध्य शिरा खीचने पर आसानी से बाहर आ जाती है।
इसके लिये प्रबन्धन के उपायः.इसकी रोकथाम के लिए प्रोफेनोफोस 40 प्रतिशत साइपरमेथ्रिन 04 प्रतिशत ई0सी0 की 400.500 एम0एल0 की मात्रा को 200.250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे अथवा कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत सी0जी0 10.12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुरकाव करें अथवा ट्राईकोग्रामा कार्ड के 04 कार्ड प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।