जनपद में नरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, कार्यवाही में लापरवाही का आरोप
BIJNOR। जनपद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन दोषियों पर समुचित कार्यवाही का अभाव,जनपद स्तरीय अधिकारियों की कार्यशैली सवाल खड़े कर रहा है।
सुल्तानपुर सादकपुर में गबन का मामला
अफजलगढ़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत सुल्तानपुर सादकपुर में जांच के दौरान पांच लाख रुपये की गबन का मामला पकड़ा गया। इस पर नरेगा सेल ने तकनीकी सहायक (टीए) को बर्खास्त कर दिया। हालांकि, ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव को मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। जिला पंचायत राज अधिकारी ने पंचायत सचिव की केवल दो वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली।
किरतपुर ब्लॉक में फर्जी काम का खुलासा
किरतपुर ब्लॉक की चतुर्भुज और कुशल ग्राम पंचायतों में भी जांच के दौरान काम न होने के बावजूद भुगतान किए जाने की पुष्टि हुई। इस पर पांच लाख रुपये की रिकवरी का आदेश दिया गया। यहां टीए को बर्खास्त कर दिया गया और ग्राम प्रधान को भी पहले हटाया गया, लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से बहाल कर दिया गया। पंचायत सचिव पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
रायपुर सादात में भी गबन के आरोप
रायपुर सादात ग्राम पंचायत में भी पांच लाख रुपये की रिकवरी के आदेश जारी किए गए। यहां टीए पर कार्रवाई हुई, लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मुख्य विकास अधिकारी का बयान
इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि मामलों की जांच जारी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अब तक हुई कार्रवाई को लेकर जनता और विभिन्न संगठनों में आक्रोश है।
भ्रष्टाचार पर सवाल
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि जनपद में मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है। ग्राम प्रधान और पंचायत सचिवों को बिना ठोस कार्रवाई के छोड़ना प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है।