साहित्यिक विरासत से प्रेरित लेखिका प्रियंका ‘सौरभ’: ‘समय की रेत पर’ की सफलता

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साहित्यिक विरासत से प्रेरित लेखिका प्रियंका ‘सौरभ’: ‘समय की रेत पर’ की सफलता

 

BIJNOR. साहित्यिक परिवेश में पली-बढ़ी हरियाणा के हिसार की प्रियंका ‘सौरभ’ ने लेखन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। हाल ही में उनकी चौथी पुस्तक ‘समय की रेत पर’ प्रकाशित हुई, जिसने उनके साहित्यिक सफर को और मजबूती दी है। यह निबंध संग्रह कोरोना महामारी के दौरान विकसित हुई लेखन शैली और विचारों की उपज है।

परिवार से मिली प्रेरणा

प्रियंका का साहित्यिक रुझान उनके परिवार से उपजा है। बचपन में उनके दादा और पिता की पुस्तकों के प्रति रुचि ने उन्हें डायरी लिखने की आदत डाल दी। विवाह के बाद उनके पति डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’, जो स्वयं एक चर्चित कवि और लेखक हैं, ने इस साहित्यिक यात्रा को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई।

प्रियंका कहती हैं, “परिवार में साहित्यिक चर्चाओं और गतिविधियों ने मुझे लेखन के लिए प्रेरित किया।” राजनीति विज्ञान में मास्टर्स और एमफिल के दौरान उनके समसामयिक विषयों की समझ गहरी हुई, जिसने संपादकीय लेखन की आदत को बढ़ावा दिया।

साहित्यिक योगदान और उपलब्धियां

प्रियंका आज हिंदी और अंग्रेजी के 10,000 से अधिक समाचार पत्रों के लिए संपादकीय लेखन कर रही हैं। उनका पहला काव्य संग्रह ‘दीमक लगे गुलाब’ और दूसरा निबंध संग्रह ‘निर्भयाएं’ ने साहित्य जगत में उन्हें पहचान दिलाई। अंग्रेजी में ‘फीयरलेस’ और अब ‘समय की रेत पर’ उनके साहित्यिक सफर को नई ऊंचाइयों तक ले गई हैं।

सामाजिक सरोकार और सम्मान

सिर्फ लेखन ही नहीं, प्रियंका सामाजिक कार्यों और शिक्षण में भी सक्रिय हैं। महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण, हिंदी भाषा, भारतीय संस्कृति और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वे अनगिनत मंचों पर अपनी भूमिका निभा रही हैं। उनका यूट्यूब चैनल भी फ्री कोचिंग के माध्यम से समाज को शिक्षित करने में योगदान दे रहा है।

प्रियंका को उनकी सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें आईपीएस मनुमुक्त ‘मानव’ पुरस्कार, नारी रत्न पुरस्कार, महात्मा गांधी अवॉर्ड, और ग्लोबल सुपर वुमन अवॉर्ड प्रमुख हैं। साथ ही उन्हें यूके, फिलीपींस और बांग्लादेश से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्राप्त हो चुकी है।

 

सफलता का मंत्र

प्रियंका का मानना है कि सफलता के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। उनका आत्मकथ्य है, “हर काम को समाज के हित में करें और हमेशा यह सोचें कि इससे बेहतर क्या किया जा सकता है।”

निष्कर्ष

प्रियंका ‘सौरभ’ का जीवन इस बात का उदाहरण है कि सही माहौल और निरंतर प्रयास से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। ‘समय की रेत पर’ न केवल उनके साहित्यिक सफर का एक मील का पत्थर है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी।

 

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Author: Target Tv

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