नरेगा में बड़ा घोटाला, फर्जी मजदूरों के नाम पर हो रही है मोटी कमाई
बलरामपुर : जिले के पचपेड़वा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अचकवापुर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी मजदूरों की उपस्थिति दिखाकर लाखों रुपये का गबन किया जा रहा है।
कागजों पर सैकड़ों मजदूर, मैदान में सिर्फ सात
मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार, कागजों पर सैकड़ों मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, लेकिन धरातल पर मात्र सात मजदूर ही काम करते हुए दिखाई दिए। यह स्थिति सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाने का उदाहरण बन गई है।
गांव छोड़ महानगरों की ओर पलायन
गांव में रोजगार न मिलने और भ्रष्टाचार से परेशान होकर सैकड़ों मजदूर अपने परिवारों के साथ दिल्ली, पंजाब, कोलकाता और मुंबई जैसे महानगरों में पलायन कर गए हैं। मजदूरों का कहना है कि ग्राम प्रधान की दबंगई और समय पर मजदूरी न मिलने के कारण वे मनरेगा के तहत काम करने से बचते हैं।
फर्जीवाड़ा: पुराने फोटो और जेसीबी का इस्तेमाल
सूत्रों के अनुसार, ग्राम प्रधान पुराने कामों के फोटो अपलोड कर फर्जी भुगतान करवा रहा है। कई स्थानों पर कार्य मशीनों (जेसीबी) से कराए जा रहे हैं, जबकि कागजों में इसे मजदूरों के माध्यम से दिखाया जाता है।
जांच के आदेश
खंड विकास अधिकारी धनंजय सिंह ने मामले की जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यदि आरोप सही पाए गए, तो ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार की सख्ती के बावजूद भ्रष्टाचार जारी
हालांकि सरकार मनरेगा में पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। अचकवापुर गांव का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
गांव के गरीब मजदूरों ने सरकार से अपील की है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि गरीबों को उनका हक मिल सके।