नीम हकीमों के चंगुल में फंसी जनता: कब थमेगा मौत का सिलसिला ?

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नीम हकीमों के चंगुल में फंसी जनता: कब थमेगा मौत का सिलसिला ?

Report by Avnish tyagi 

 

काल्पनिक चित्रण                                                             BIJNOR।बिजनौर के स्योहारा क्षेत्र के गांव पितुपुरा मंड्डयों निवासी विपिन की हालिया घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक लोग अप्रशिक्षित चिकित्सकों के चंगुल में फंसकर अपनी जान गंवाते रहेंगे। यह एक दुखद और चिंताजनक वास्तविकता है कि ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में अब भी बड़ी संख्या में लोग ऐसे तथाकथित डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं, जिनके पास न तो चिकित्सा का कोई प्रमाणिक प्रशिक्षण है और न ही रोगियों का सही उपचार करने की क्षमता।

नीम हकीमों का बढ़ता प्रभाव और प्रशासनिक उदासीनता

विपिन का मामला बताता है कि सैदपुर जैसे इलाकों में अप्रशिक्षित चिकित्सकों का वर्चस्व अब भी बरकरार है। एक सड़क दुर्घटना के बाद विपिन को सैदपुर स्थित एक कथित डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां उसे लगातार एक सप्ताह तक उपचार दिया गया। शनिवार को जब उस डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया, तो उसकी हालत और बिगड़ गई, जिससे अंततः उसकी मौत हो गई। यह घटना सीएम योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सामने आई है, जिनमें कहा गया था कि नीम हकीमों को जेल भेजा जाए और उनके क्लीनिक सील किए जाएं।

लोग क्यों जाते हैं नीम हकीमों के पास ?

1. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और दूरस्थ अस्पतालों तक पहुंच की समस्या लोगों को मजबूर करती है कि वे नजदीकी नीम हकीमों के पास जाएं।

2. आर्थिक कारण: गरीब वर्ग महंगे निजी अस्पतालों में जाने में सक्षम नहीं होते। नीम हकीम सस्ता और आसान विकल्प बन जाते हैं।

3. जागरूकता की कमी: लोगों को अक्सर यह पता नहीं होता कि जिनके पास वे इलाज कराने जा रहे हैं, वे प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं।

 

क्या कहता है कानून ?

भारत में, अप्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा इलाज करना न केवल अवैध है, बल्कि यह गैर-जिम्मेदाराना कृत्य भी है, जो मानव जीवन के साथ खिलवाड़ है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुसार, केवल वही व्यक्ति चिकित्सा का अभ्यास कर सकता है, जो एक मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज से डिग्री प्राप्त कर चुका हो। बावजूद इसके, प्रशासन की ढिलाई और स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली तत्वों का संरक्षण इन नीम हकीमों के खिलाफ कार्रवाई को बाधित करता है।

सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी

1. सख्त निगरानी: हर जिले में एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जानी चाहिए, जो अप्रशिक्षित चिकित्सकों की पहचान कर उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे।

2. स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार: ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाए। डॉक्टरों की नियुक्ति और आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए।

3. जनजागरूकता अभियान: लोगों को शिक्षित करना और यह बताना जरूरी है कि अप्रशिक्षित डॉक्टरों के पास जाना उनके जीवन के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।

 

निष्कर्ष

विपिन की मौत केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है; यह उस प्रणाली की असफलता का प्रतीक है, जो अपने नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं देने में नाकाम रही है। यह घटना हमें चेतावनी देती है कि यदि समय रहते नीम हकीमों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी मौतों का सिलसिला जारी रहेगा। प्रशासन और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को प्रशिक्षित डॉक्टर से सुरक्षित और सुलभ चिकित्सा सेवा मिले। जनता की जागरूकता और प्रशासन की तत्परता ही इस समस्या का समाधान है।

 

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Author: Target Tv

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