गौहर/दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 75वें सत्र में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया था. मिलेट्स को मोटा अनाज भी कहा जाता है, जिसमें बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, चेना आदि शामिल हैं. जब से 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है, तब से लेकर अब तक दुनिया के सभी देश इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार की साल 2019 में की गई सिफारिश के बाद ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है. इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक मिलेट्स के बारे में लोगों में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने के लिए जहां भारत सरकार अलग-अलग तरह के कार्यक्रम कर रही है. वहीं सरकार उन लोगों को भी प्रोत्साहन दे रही है, जो लोग मिलेट्स के इस्तेमाल से चीजें तैयार कर रहे हैं.
इसी के चलते कुछ दिन पहले दिल्ली में भी मेगा मिलेट्स फेस्टिवल का आयोजन किया गया था. इसमें देश के कई राज्यों से आए हुए लोगों ने मिलेट्स से तैयार की गई चीजों की प्रदर्शनी सत्याग्रह मंडप गांधी दर्शन, राजघाट के पास लगाई थी. इस प्रदर्शनी में आरडीज 1983 नाम की बेकरी लगाने वाले अमित सोनी ने बताया कि वह एक एमबीए ग्रेजुएट हैं. उन्होंने 2017 में अपनी जॉब छोड़कर 2019 में आरडीज 1983 नाम की इस बेकरी से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की थी. मिलेट्स कुकीज की शुरुआत कैसे हुई? इस सवाल के जवाब में बताया कि 2021 में राजस्थान के आईसीएआर डिपार्मेंट की तरफ से एक मिलेट केक बनाने का ऑर्डर आया था. इसके बााद से ही मिलेट्स कुकीज बनाने पर भी काम करना शुरू कर दिया था. अमित ने बताया कि काफी परीक्षणों के बाद ही मिलेट्स से कुकीज बनाने में सफलता हासिल हुई थी. इसके बाद से अब यह स्टार्टअप उनको करोड़ों रुपये का टर्नओवर देता है.
97 परीक्षणों के बाद मिली सफलता
अमित के मुताबिक, शुरुआत में 57 से 58 परीक्षणों तक तो उनको खुद भी नहीं पता था कि वह यह कैसे बनाएंगे, लेकिन हम लगातार कोशिश करते जा रहे थे. फिर 97 परीक्षणों के बाद सफलता मिली. इसके बाद उनका पहला क्लाइंट कार्मिक विभाग प्रशिक्षण डिपार्टमेंट बना था. अमित ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी बेकरी का नाम आरडीज 1983 इसलिए रखा है क्योंकि आर से उनके पिताजी का नाम रमेश और डी से उनकी माता जी का नाम दुर्गा शुरू होता है. जबकि 1983 उनके माता-पिता की मैरिज एनिवर्सरी है.
1.5 से 2 करोड़ का सालाना टर्नओवर
अमित ने बताया कि शुरुआत में उनका सालाना टर्नओवर 35 लाख का हुआ था. उसके बाद जब से उन्होंने मिलेट्स कुकीज का काम शुरू किया है, तब से टर्नओवर करोड़ों में जा रहा है. इस साल अब तक 1.5 से 2 करोड रुपये का टर्नओवर कर लिया है. कुकीज की डिमांड की बात करते हुए अमित ने बताया कि वह 2023 के शुरुआत के दिनों में प्रतिदिन 3 से 4 किलो कुकीज बनाया करते थे, लेकिन अब डिमांड को देखते हुए रोजाना 50 से 55 किलो कुकीज बनाते हैं. साथ ही बताया कि आरडीज 1983 का अंतिम उद्देश्य लोगों को रोजगार देना है.
मिलेट्स कुकीज से ही क्यों की शुरुआत?
अमित ने बताया कि कुकीज एक स्नैक्स की श्रेणी में आता है, जिसे खासकर बच्चे खाते हैं. मिलेट्स के बारे में और भी ज्यादा जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मिलेट्स वाले आहार फाइबर से भरपूर होते हैं. यह पाचन तंत्र को स्वास्थ्य बनाता है, तो प्रोटीन में उच्च, ग्लूटेन-मुक्त और ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम होने के साथ विटामिन ए, बी और फॉस्फोरस, पोटेशियम, नियासिन, कैल्शियम, आयरन और पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट जैसे खनिजों से भरपूर होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 15:00 IST