प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दिवाली के मौक़े पर लोगों से ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने का आग्रह किया है. पीएम मोदी ने लोगों से स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पाद खरीदने और उस उत्पाद या उसके निर्माता के साथ एक सेल्फी ‘नमो ऐप’ पर साझा करने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री की ये पहल लोकल सामानों की बिक्री को बढ़ावा देने और रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे स्थानीय उद्यमियों, कारीगरों और शिल्पकारों को फिर से मजबूत करने की है.
केंद्र की सत्ता संभालने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेकर चले प्रधानमंत्री मोदी ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र के सहारे इस अभियान से जन-जन को जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. छोटे और स्थानीय कारीगरों, व्यवसायियों को विभिन्न योजनाओं से आर्थिक व तकनीकी सहयोग तो सरकार पहुंचा ही रही है, लेकिन प्रधानमंत्री आमजन में स्थानीय कारीगरों और उत्पादों के प्रति भावनाओं को भी आंदोलन का रूप देना चाहते हैं.
पीएम मोदी की पहल
कोरोना महामारी के वक़्त भारत ही नहीं पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई थी. कोरोना के चलते सरकार ने लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से लॉकडाउन लगाया था, जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा. लॉकडाउन के 3 चरणों के बाद सरकार ने कुछ-कुछ राहत देना शुरू किया था. उसके बाद सबसे बड़ी समस्या थी व्यापार, उद्योग को वापस से पटरी पर लाना.
लॉकडाउन में जहां लोगों की सेविंग्स ख़त्म हो गई, वहीं व्यापारियों की भी सैलरी देने, उत्पादन न होने और माल के न बिकने से काफी हानि हुई. ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यवसाय और वाणिज्य प्रणाली को पटरी पर लाने के लिए राहत पैकेज का एलान किया. साथ ही लोगों से भी निवेदन किया कि भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ‘लोकल सामान’ ज्यादा खरीदें ताकि छोटे उद्यमियों को फायदा हो और देश का पैसा देश में ही रहे. साथ ही लोगों से यह भी अपील की कि ‘लोकल के लिए वोकल’ बने.
आख़िर ‘वोकल फॉर लोकल’ है क्या?
कोरोना की वजह से 130 करोड़ की आबादी वाले भारत में अर्थव्यवस्था पर खासा पड़ा था. उस वक़्त इसको देखते हुए प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए कदम बढ़ाते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ पर ध्यान देने के लिए कहा. वोकल फॉर लोकल का मतलब है कि देश में निर्मित वस्तुओं को केवल खरीदें नहीं, बल्कि साथ में गर्व से इसका प्रचार भी करें. पीएम ने लोगों से कहा, क्योंकि यहां हर ब्रांड पहले लोकल ही थे, उसके बाद ही ग्लोबल ब्रांड बने हैं. ठीक उसी तरह हमें अपने लोकल प्रोडक्ट्स को ग्लोबल ब्रांड बनाना है. पहले खादी भी लोकल था पर अब यह भी ब्रांड है, इसे आपने ही ब्रांड बनाया है.’
वोकल फॉर लोकल के लाभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल का असर भी अब बाजार में साफ दिखने लगा है. मामला दिवाली का हो या फिर रक्षा बंधन, होली या गणेश उत्सव का… बाजार में अब लोकल सामानों की मांग में बेतहासा मांग बढ़ रही है. उदाहरण के तौर पर देखें तो दिल्ली के कनॉट प्लेस के खादी भंडार की दुकान में स्थानीय मिट्टी के दीयों की मांग इतनी है कि दुकान के सामने आपूर्ति करने का संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली के सदर बाजार देश में निर्मित झालरों से पटी हुई है और सबसे ज्यादा मांग भी देसी झालरों की है. एक वक्त था कि जब यहां चीन के झालरों की मांग सबसे ज्यादा थी. मामला यहीं ख़त्म नहीं होता, पिछली रक्षाबंधन में सबसे ज्यादा मांग भारत में निर्मित राखियों की रही है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
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Tags: PM Modi, Vocal for Local
FIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 09:51 IST
