अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ की रहने वाली ऊषा विश्वकर्मा ने लड़कियों को सिर उठाकर जीना सिखाया है. यही नहीं, लड़कियों को मनचलों की अक्ल ठिकाने लगाने का तरीका बताकर आत्मनिर्भर बनाया है. ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि यह सफर 2006 में शुरू हुआ था. वह लखनऊ के मड़ियांव में ही पढ़ाती थीं. एक साल बाद उनके साथी ने ही उनके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. इससे वह एक साल तक सदमे में रहीं. इस बीच उन्होंने तय किया कि बिना सुरक्षा शिक्षा बेकार है.
ऊषा विश्वकर्मा ने इस दिशा में काम करते हुए अपने साथ लड़कियों को जोड़ना शुरू किया. इनसे 15 लड़कियां जुड़ी और बिना किसी नाम के एक समूह बनाया. यह समूह पूरे क्षेत्र में मनचलों और छेड़छाड़ करने वाले लड़कों की अक्ल ठिकाने लगाता था. फिर लड़कियों ने तय किया कि एक ड्रेस कोड होना चाहिए. ड्रेस कोड लाल कुर्ता, काली सलवार और काला दुपट्टा बनाया गया. इसके पीछे वजह यह थी कि लाल रंग संघर्ष, तो काला रंग विरोध का होता है. ऐसे में लड़कियां संघर्ष करते हुए अपने साथ होने वाले गलत कामों का विरोध करेंगी. इसी के साथ ड्रेस कोड पहनकर लड़कियों ने सड़कों पर उतरना शुरू किया. इस पर भी लड़कों ने टिप्पणी करना शुरू कर दी. ऊषा विश्वकर्मा के मुताबिक, इस बीच एक लड़के ने बोला ‘क्या बात है पावरफुल रेड ब्रिगेड’ जा रही है. यह नाम लड़कियों को बहुत पसंद आया और तब से हमारे ग्रुप का नाम रेड ब्रिगेड पड़ा.
कैसे उठाया बड़ा कदम
ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि मड़ियांव से लड़कियां गोमती नगर तक पढ़ने के लिए जाती थीं. वह जैसे ही वैन से उतरती थीं तो कुछ लड़के वहां पर टिप्पणियां करते थे. यह सब झेलते हुए एक महीना हो गया और शिकायत के बाद भी पुलिस ने भी कुछ नहीं किया और ना ही आसपास के लोगों ने सहयोग किया. एक महीने बाद लड़कियों ने परेशान होकर तय किया कि अगर आज लड़कों ने कुछ बोला तो छोड़ेंगे नहीं और यही हुआ. लड़कियां उतरी लड़कों ने टिप्पणी की और लड़कियों ने सभी लड़कों को दौड़ा लिया. सारे भाग गए बस एक लड़का पकड़ में आया जिसकी खूब पिटाई की. यहीं से लड़कियों में साहस आ गया और उस दिन से लड़कियों की नजरें झुकी नहीं.
ऐसे रेड ब्रिगेड का देशभर में हुआ नाम
ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि निर्भया कांड 2012 में हुआ था. उसके बाद मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग शुरू की और इसके सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर डाले गए तो पांच देशों के लोग मार्शल आर्ट्स सीखने आए. मार्शल आर्ट सीखने के बाद जब रेप पीड़िताओं के पास जाकर आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देने गई तो वहां पर पूरा रेड ब्रिगेड ग्रुप फेल हो गया. दरअसल पीड़िताओं ने बताया कि जब उनके साथ घटनाएं हुई तो उनमें और पुरुष में बिल्कुल भी दूरी नहीं थी. जबकि मार्शल आर्ट्स में काफी दूरी होती है. पीड़िताओं के मुताबिक, उनके साथ हुई घटना के अनुसार वे बताएंगे कि किस तरह से उनके साथ पूरी घटना हुई है, उसके आधार पर अगर कोई तकनीक बना सकें, तो ही आत्मरक्षा हो सकेगी. ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि इसे बाद 20 तकनीक बनाई थी. इसमें से एक तकनीक का नाम निशस्त्र था. यानी अगर महिला के शरीर पर एक कपड़ा भी नहीं है और पुरुष उसके ऊपर है, तो वह अपनी रक्षा कैसे करे. यह तकनीक देशभर में मशहूर हुई और फिर रेड ब्रिगेड को लोग जानने लगे.
कौन बनेगा करोड़पति ने दिलाई बड़ी पहचान
ऊषा विश्वकर्मा को वर्ष 2014 में कौन बनेगा करोड़पति से ऑफर आया था. वहां गईं और बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के साथ हॉट सीट पर बैठीं. यहां से 12 लाख रुपये जीते. इसके बाद पूरी दुनिया में रेड ब्रिगेड मशहूर हो गई.
अब महिलाओं को रोजगार दे रहीं
ऊषा विश्वकर्मा ने बताया कि आत्मरक्षा की तकनीक के साथ ही वह महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बना रही हैं. उन्हें अलग-अलग रोजगार से जोड़ रही हैं जिसमें लखनऊ का चिकनकारी मशहूर है.
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FIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 09:40 IST
