हाइलाइट्स
एयर पॉल्यूशन में वॉक करने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.
वॉक करना फायदेमंद है लेकिन प्रदूषण के दौरान यह नुकसानदेह है.
Is it bad to walk in unhealthy air quality: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Air Pollution) रिकॉर्ड तोड़ रहा है. यहां तक कि अब इसका असर एनसीआर से दूर शहरों में भी महसूस हो रहा है. हवा में घुले जहर के चलते लोगों को बाहर न निकलने और घर से बाहर कम से कम एक्टिविटीज करने की सलाह दी जा रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार लोगों से सुबह और शाम पार्क में टहलने, दौड़ने या एक्सरसाइज करने के लिए भी मना कर रहे हैं. हालांकि बहुत सारे लोग हैं जो प्रदूषित हवा के बावजूद सुबह-शाम नियमानुसार पार्क में टहलने के लिए जाते हैं और व्यायाम करते हैं. इसके पीछे वे कहते हैं कि उन्हें रोजाना वॉक करने की आदत है, हालांकि ध्यान रहे कि यह आदत आपको फायदे के बजाय गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है.
प्रदूषण में वॉक करने से आपके शरीर में कई ऐसे तत्व प्रवेश कर सकते हैं जो आपको लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं और कई गंभीर बीमारियां उपहार में दे सकते हैं. पॉल्यूशन या खराब हवा का असर शरीर के कई अंगों पर हो रहा है, यहां तक कि इसकी वजह से शरीर का हर अंग प्रभावित हो सकता है.
प्रदूषण में वॉक करने के 5 बड़े नुकसान…
फेफड़ों पर खराब असर
वॉक करने के दौरान व्यक्ति गहरी सांस लेता है और ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन को फेफड़ों में लेता है लेकिन अगर वातावरण में प्रदूषण है और जहरीली गैसें हैं तो सांस के साथ ये सभी चीजें फेफड़ों में पहुंचती हैं और वहां जम जाती हैं, जिसकी वजह से कई प्रकार की लंग संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. पॉल्यूशन में वॉक करने से लंग टिश्यू में सूजन आ सकती है या फिर इरीटेशन की शिकायत भी हो सकती है. लिहाजा इस मौसम में प्रेग्नेंट, बच्चे और बुजुर्गों को खासतौर पर वॉक नहीं करनी चाहिए.
ऑक्सीजन की कमी
प्रदूषण की वजह से वायुमंडल में अन्य हानिकारक गैसों की अधिकता हो जाती है और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऐसे में जब सांस ली जाती है तो शरीर में कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है. लिहाजा ज्यादा मेहनत करने, वॉक करने के बाद भी शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती, जबकि शरीर के अंग कसरत ज्यादा करते हैं, इसकी वजह से हार्ट, लंग्स और नर्व संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं, हार्ट अटैक या स्ट्रोक आदि हो सकता है.
अस्थमा के अटैक आ सकते हैं
खराब हवा में जहरीली गैसें और कई तरह के टॉक्सिंस, धुआं और पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा ज्यादा होती है. वहीं ओजोन गैस भी बढ़ जाती है जिसकी वजह से सांस खींचने परअस्थमा का अटैक आ सकता है. स्वस्थ लोगों को भी दमा के पैनिक अटैक आ सकते हैं. इसलिए इस मौसम में अस्थमा के मरीज तो खास ध्यान रखें ही, सामान्य लोग भी सावधानी बरतें क्योंकि उन्हें सांस फूलने, छींक आने की दिक्कतें हो सकती हैं.
आंखों में बीमारियां
खराब एयर क्वालिटी में वॉक का असर आंखों पर भी पड़ता है. प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने पर आंखों के मुलायम हिस्सों को नुकसान हो सकता है. इससे आंखों में जलन, सूजन, पलकों में खुजली, आंख में खुजली, आंखों का लाल होना, आंखों से पानी आना आदि शामिल है. लंबे समय तक आंखों में परेशानी होने पर विजन पर भी असर पड़ सकता है.
इन्फेक्शन या संक्रमण वाली खांसी
एयर पल्यूशन में संक्रमण फैलने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है. किसी को पहले से कोई इन्फेक्शन है तो वह बढ़ सकता है इसके अलावा प्रदूषण में इन्फेक्शन वाली खांसी सबसे ज्यादा खराब होती है. यह कई-कई हफ्तों तक ठीक नहीं होती. इसके अलावा प्रदूषण की वजह से फेफड़ों के कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है.
क्या करें फिर…
जाने माने योग एक्सपर्ट डॉ. बालमुकुंद शास्त्री और अपोलो अस्पताल में रेस्पिरेटरी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. राजेश चावला सलाह देते हैं कि प्रदूषण के दौरान पार्क में वॉक करना अवॉइड करें. जब तक प्रदूषण स्तर ठीक नहीं हो जाता, हवा संतोषजनक केटेगरी में नहीं आ जाती, तब तक सुबह और शाम घर से बाहर न निकलें. अगर आपको रोजाना घूमने, वॉक करने की आदत है तो घर पर रहकर व्यायाम या योगासन करें. घर के अंदर ही टहल लें. बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें, नहीं तो बीमारियों का रिस्क बढ़ सकता है.
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Tags: Air pollution, Health, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 19:59 IST
