हाइलाइट्स
कॉपर खदानों वाली तांबई रंग की धरती वाले क्षेत्र भी यहीं है
मेहनतकश किसानों और सफलता का रिकॉर्ड बनाने वाले उद्यमियों का इलाका
अनाज के साथ प्याज की उपज भी बहुतायत में, सीकर एक बड़ी मंडी
राजस्थान के शेखावाटी इलाके को खुली ऑर्ट गैलरी (Open Art Gallery) के तौर पर भी जाना जाता है. यहां बहुत बड़ी मात्रा में भित्ति चित्र पाए जाते हैं. पुराने दौर के रजवाड़ों के सैकड़ों किले वाले इस इलाके ने देश को इतने उद्यमी दिए हैं कि अगर सभी को जोड़ा जाय तो ये संख्या बहुत बड़ी और प्रभावशाली होगी. देश की राजनीति में इस इलाके के नेताओं का अहम मकाम रहा है. राजस्थान में ये माना जाता है कि शेखावाटी के मतदाता ही राज्य की राजनीति की दिशा तय करते रहे हैं. इलाके में विधान सभा की कुल 21 सीटें हैं.
शेखावाटी के कम से कम दो जिलों की धरती ही मोहक तांबाई रंग दिखती है. वैसे यहां का पूरा पूरा भूभाग ऐसा सुंदर और मोहक है कि यहां अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग की जाती है. फिल्म ग़ुलामी के अधिकतर सीन इसी इलाके में शूट किए गए थे. आम तौर पर मरुभूमि की धरती सूखे और अकाल से चटकती देखी दिखाई जाती है लेकिन शेखावटी में बाजरा वैगरह बड़ी मात्रा में पैदा होते हैं. यहां प्याज जैसी नकदी फसल भी किसानों की जेब हरी-भरी रखती है. सीकर की प्याज मंडी को नासिक मंडी के बाद देश की सबसे बड़ी मंडी भी कहा जाता है. मेहनतकश किसानों और धुरंधर उद्यमियों के कारण शेखावाटी में समृद्धि की कमी नहीं है. लिहाजा आम तौर पर मेहमाननवाज यहां के मतदाता जिस पार्टी के साथ होते हैं खुल कर होते हैं और उसकी झोली भर देते हैं. अगर बीजेपी का साथ दिया तो खुल कर या कांग्रेस के साथ रहे तो उसमें कोई कमी नहीं की. इस इलाके में तकरीबन 15-20 ऐसा नेता रहे हैं या हैं जो अपने-अपने इलाके का दो से तीन दशक तक विधानसभा में नेतृत्व कर चुके हैं या फिर कर रहे हैं.
ऐतिहासिक महत्व
यहां इसका जिक्र कर देना भी लाजिमी है कि खेतड़ी स्टेट भी इसी इलाके में आता है. ये वही खेतड़ी है जहां स्वामी विवेकानंद अक्सर जाया करते थे. बताया जाता है कि स्वामी जी की अमेरिका यात्रा के खर्च में इस स्टेट का बड़ा योगदान था.
दिग्गजों की धरती
शेखावाटी के बड़े नेताओं की चर्चा की जाय तो भैरोसिंह शेखावत, शीशराम ओला, रामदेव सिंह महरिया, चंदनमल बैद, राजेन्द्र राठौड़, भंवरलाल शर्मा, नारायण सिंह और श्रवण कुमार जैसे नेताओं के नाम प्रमुख हैं. इस इलाके से बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के कई प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. इस इलाके के जाट बाहुल्य सीकर जिले से ही उस समय की वाजपेयी सरकार ने ओबीसी में जाट समुदाय को शामिल करने की घोषणा की थी. माना जाता है कि बीजेपी के इस कदम का राज्य की राजनीति में प्रभावी असर हुआ था.
कुल सीटें
शेखावाटी इलाके के जिलों और विधान सभा सीटों की बात की जाय तो यहां कुल 21 आती है. दरअसल, झुंझुनू, सीकर और चूरू जिलों को ही शेखावाटी इलाके के तौर पर जाना जाता है. इन्हीं में दो और नए जिले नीमकाथाना और सुजानगढ़ नाम से हाल में ही गठित कर दिए गए. यहां की विधान सभा सीटों में सीकर, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, दांतारामगढ़, खंडेला, श्रीमाधोपुर नीमकाथाना, धोद, चूरू, सुजानगढ़, राजगढ़, रतनगढ़, सरदारशहर, तारानगर, झुंझुनूं, पिलानी, सूरजगढ़, खेतड़ी, नवलगढ़, उदयपुरवाटी और मंडावा हैं. पिछले चुनाव में सीकर जिले में बीजेपी का खाता ही नहीं खुला. यहां की आठ में सात सीटें कांग्रेस और एक निर्दल के खाते में थीं. झुंझुनू में कांग्रेस के पास छह और बीजेपी के पास एक सीट थी. चुरू की छह में चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ था जबकि दो सीटे बीजेपी जीती थी. यानि बीजेपी को 21 में सिर्फ 3 सीटें मिल सकी थी. बाकी 18 सीटों पर कांग्रेस और एक पर निर्दल उम्मीदवार को जनता ने चुना था. इसमें एक बीएसपी की सीट भी शामिल है, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गया था.
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Tags: Assembly election, BJP, CM Rajasthan, Congress
FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 16:15 IST
