भोपाल. तुलसी बाई बुधनी के जैत गांव में जिस कच्चे घर में 1959 में शिवराज सिंह चौहान का जन्म हुआ था, उसके ठीक बगल में रहती हैं. तुलसी बाई ने ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना’ के तहत अपने खाते में आए पैसे से खरीदी गई नई नीली साड़ी पहन रखी हैं और अपने घर की नीले रंग से पुताई कर रही हैं. वह कहती हैं, ”मेरा वोट शिवराज भैया के लिए है. मुझे आज सुबह ही मुख्यमंत्री से इस महीने की 1,250 रुपये की किस्त मिली है.”
इस एक योजना ने राज्य के ग्रामीण इलाकों में पूरी तरह से पैठ बना ली है और लोगों में शिवराज सिंह चौहान के प्रति पैदा हुई स्पष्ट ‘थकान’ को कुंद कर रही है. शिवराज सिंह 64 साल की उम्र में अब एक दिन में 9-10 रैलियां कर रहे हैं, जो भाजपा नेताओं में सबसे अधिक हैं. भोपाल से इंदौर, जबलपुर से ग्वालियर, मुरैना और बुधनी तक. न्यूज18 ने मध्य प्रदेश में यात्रा की और सवाल पूछा – क्या राज्य में लोग चौहान से उकता गए हैं जो 2006 से मुख्यमंत्री हैं?
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आदमी अच्छे हैं, लेकिन…
जबलपुर के ग्रामीण इलाके में पुरुषों के एक समूह ने कहा, “आदमी अच्छे हैं, पर हम अब बस उनसे थक गए. पर महिलाएं अब भी मामा (शिवराज सिंह चौहान) के साथ हैं. जबलपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर, भेड़ाघाट में अपने परिवार के साथ नौकायन के लिए आए एक आरएसएस कार्यकर्ता ने बताया कि भाजपा को इस चुनाव में इतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं होती अगर उसने महीनों पहले स्पष्ट कर दिया होता कि वे चौहान को अगले सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, “भाजपा ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़कर चुनाव को कठिन बना दिया है और वो मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा पार कर सकती है.”
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Tags: Assembly election, PM Modi, Shivraj singh chouhan
FIRST PUBLISHED : November 8, 2023, 14:46 IST
