दिवाली भी जेल में मनाने को हैं तैयार… ED दफ्तर के बाहर पहुंची इस नेता की पत्‍नी और कहा… एक बार

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भ्रष्‍टाचार के ख‍िलाफ देशभर में प्रवर्तन न‍िदेशालय (ईडी) की कार्रवाई जारी है. कई नेताओं को अब तक ग‍िरफ्तार क‍िया जा चुका है और कई नेताओं से पूछताछ के ल‍िए बुलाया जाता है. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह को मनी लॉन्‍ड्र‍िंग के तहत उनकी पत्नी कांता अंडोत्रा द्वारा संचालित एक शैक्षिक ट्रस्ट के खिलाफ एक मामले के सिलसिले में मंगलवार देर रात जम्मू शहर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले दिन में जम्मू की एक भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने पूर्व मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. हालांकि, अंडोत्रा ​​और उनकी बेटी क्रांति सिंह को राहत मिली क्योंकि उनकी अंतरिम अग्रिम जमानत बिना किसी चूक के जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने के निर्देश के साथ 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई थी.

इस ग‍िरफ्तारी के बाद ईडी दफ्तर के बाहर पहुंची चौधरी लाल सिंह की पत्नी ने कहा क‍ि दिवाली भी जेल में मनाने को हैं तैयार है. बस एक बार उनको उनके पति से मिलने दिया जाए. आपको बता दें क‍ि विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक (सीबीआई मामले) जम्मू बाला ज्योति ने ईडी के लिए विशेष लोक अभियोजन (एसपीपी) अश्वनी खजूरिया और आवेदकों के वकील राजेश कोटवाल की दलीलें सुनने के बाद तीन अलग-अलग आदेश पारित किए. सिंह, उनकी पत्नी और बेटी ने 1 नवंबर को अदालत में अलग-अलग आवेदन देकर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत कथित अपराध के लिए गिरफ्तारी पूर्व जमानत की मांग की थी, जो गैर-जमानती है. अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी और सुनवाई की अगली तारीख पर ईडी से विस्तृत जवाब मांगा है.

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डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी के अध्यक्ष सिंह से ईडी ने शनिवार और सोमवार को दिन भर पूछताछ की और मामले में उन्हें बुधवार को गिरफ्तार कर ल‍िया गया. पिछले महीने, ईडी ने ट्रस्ट की स्थापना के लिए भूमि खरीद में कथित अनियमितताओं के संबंध में अंडोत्रा के शैक्षिक ट्रस्ट और एक पूर्व सरकारी अधिकारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत जम्मू और उसके आसपास के इलाकों में तलाशी ली थी. संघीय एजेंसी ने आरबी एजुकेशनल ट्रस्ट, इसके अध्यक्ष और पूर्व राजस्व अधिकारी रविंदर एस के खिलाफ मामले में 17 अक्टूबर को जम्मू, कठुआ और पंजाब के पठानकोट में लगभग आठ परिसरों पर छापेमारी की थी.

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अक्टूबर 2021 में दायर आरोप-पत्र से उपजा है, जिसमें 4 जनवरी से 7 जनवरी, 2011 के बीच भूमि जारी करने में आपराधिक मिलीभगत का आरोप लगाया गया था, जिसमें उल्लंघन के संबंध में विवरण का उल्लेख नहीं किया गया था. जम्मू और कश्मीर कृषि सुधार अधिनियम, 1976 की धारा 14 के तहत 100 मानक कनाल की अधिकतम सीमा लगाई गई, जिससे ट्रस्ट को अनुचित आर्थिक लाभ मिला.

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इसके आधार पर, ट्रस्ट ने 5 जनवरी और 7 जनवरी, 2011 को निष्पादित तीन उपहार कार्यों के माध्यम से लगभग 329 कनाल भूमि के कई टुकड़े हासिल किए, जैसा कि सीबीआई के आरोप पत्र में दावा किया गया है. एसपीपी खुजुरिया के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश ने कहा क‍ि आरोपों की प्रकृति और आरोपों की गंभीरता और जांच के चरण को सुनने और ध्यान में रखते हुए, मेरे विचार से जांच एजेंसी को एक विश्लेषणात्मक और प्रभावी जांच करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. इस प्रकार उपरोक्त के मद्देनजर, आवेदक/याचिकाकर्ता (लाल सिंह) इस स्तर पर जमानत की रियायत का हकदार नहीं है, क्योंकि इससे चल रही जांच में बाधा आएगी. यह याद दिलाया जाना चाहिए कि आवेदक को जांच एजेंसी को सहयोग के विस्तार सहित कुछ शर्तों पर सीमित अवधि के लिए गिरफ्तारी से पहले जमानत दी गई थी.

अदालत ने कहा कि पीएमएलए केस में ईडी को तलाशी, जब्ती और जांच के लिए निरंकुश अधिकार देता है क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग की बुराई एक अभिशाप है और इसका समाज और उसके नागरिकों पर विविध प्रभाव पड़ता है. मनी लॉन्ड्रिंग न केवल हमारे देश की वित्तीय प्रणाली के लिए बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी एक गंभीर खतरा है, जिससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है. पूर्व मंत्री के आवेदन को खारिज करते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप गंभीर और गंभीर प्रकृति के हैं, यह अदालत जमानत का विशेषाधिकार देने के लिए इच्छुक नहीं है, जिसे इस स्तर पर किसी भी कानूनी बल के बिना खारिज कर दिया जाता है.

पूर्व विधायक अंडोत्रा द्वारा दायर आवेदन के संबंध में, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले से ही सीबीआई आरोप-पत्र में पूर्ण जमानत पर है जो कि विधेय अपराध का स्रोत है. आदेश में कहा गया है क‍ि इसके अलावा बीमारी और महिलाओं के लिए पीएमएलए की शर्तों में ढील दी जा सकती है… (अंतरिम) जमानत 30 नवंबर तक बढ़ाई जाती है क्योंकि जांच अभी भी चल रही है और याचिकाकर्ता को बिना किसी चूक के जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है.

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इसी तरह, अदालत ने उनकी बेटी क्रांति सिंह, जो कि शैक्षिक ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक है, की अंतरिम जमानत भी 30 नवंबर तक बढ़ा दी, साथ ही जमानत की शर्तों से आगे न बढ़ने का निर्देश दिया, जिसमें बिना किसी असफलता के जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना शामिल था. हालांकि, अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा दिया गया कोई बयान साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के संदर्भ में खुलासे की ओर ले जाता है, तो उसे केवल प्रकटीकरण बयान की स्वीकार्यता के उद्देश्य से उत्तरदाताओं की हिरासत में माना जाएगा.

Tags: Diwali, Enforcement directorate

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