इस बार मनाएं ‘पुस्तक वाली दीपावली’, वाणी प्रकाशन दे रहा है बंपर डिस्काउंट

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हिंदी साहित्य की दुनिया का प्रमुख प्रकाशन संस्थान वाणी प्रकाशन ग्रुप इस बार दीपावली पर पुस्तक प्रेमियों के लिए विशेष उपहार लेकर आया है. वाणी प्रकाशन समूह की डिजिटल मार्केटिंग अध्यक्ष दामिनी माहेश्वरी ने बताया कि पिछले 3-4 वर्षों में पाठकों का रुझान साहित्य की ओर और बढ़ा है. उन्होंने कहा कि वाणी प्रकाशन ग्रुप की ओर से यह पूरा प्रयास रहता है कि हमारे पाठकों ने जो ज्ञान का मार्ग चुना है, उसमें हम भी उनके सहयात्री और मित्र पुस्तक बनें. इस ध्येय को ध्यान में रखते हुए वाणी डिजिटल पहल शुरू की थी. वाणी डिजिटल के अंतर्गत कोरोना काल में 400 से अधिक साहित्यिक कार्यक्रम किए गए थे और अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पुस्तकों को संस्कृति से जोड़ने की नयी पहल शुरू की जा रही है.

दामिनी माहेश्वरी ने पाठक मंच योजना के बारे में कहा कि वाणी प्रकाशन ग्रुप हमेशा से ही पाठकों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित संस्था रही है. ‘कस्टमर इज़ द किंग’ की अवधारणा बिजनेस स्कूल में हाल के ही वर्षों में सिखाई जाती है लेकिन वाणी प्रकाशन पिछले 60 वर्षों से इसी ध्येय पर काम कर रहा है.

दामिनी माहेश्वरी ने कहा कि ‘वाणी जनसुलभ पाठक मंच’ योजना वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने 25 वर्ष पहले शुरू की थी. इस वर्ष ‘वाणी जनसुलभ पाठक मंच’ योजना का डिजिटल वर्जन शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि ‘पुस्तक वाली दीपावली’ योजना के साथ पाठक ‘वाणी जनसुलभ पाठक मंच’ के सदस्यता कार्ड को पुस्तकों पर अतिरिक्त 5 प्रतिशत छूट भी ले सकते हैं. तीस नवम्बर तक ‘जनसुलभ पाठक मंच’ की सदस्यता जो कि 500 रुपये के शुल्क के साथ आजीवन उपलब्ध है-इस दौरान नि:शुल्क है. जो पहले से सदस्य बने हुए हैं, वे हमें अपनी सदस्यता संख्या ईमेल marketing@vaniprakashan.in पर या व्हाट्सऐप 96433-31304 कर सकते हैं. उन्हें एक विशेष कोड दिया जाएगा जिसके जरिये वे ‘पुस्तक वाली दीपावली’ पर विशेष छूट का लाभ ले सकते हैं.

वाणी प्रकाशन समूह
वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 60 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक विधाओं में हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है. वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं तथा देश के तीन लाख से भी अधिक गांव, 2,800 कस्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 1944 में स्थापित भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ के प्रकाशन कार्य को अपने ग्रुप में समाहित किया है.

Tags: Books, Hindi Literature, Literature

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