ग्रीन पटाखों के नाम पर फर्जीवाड़ा, जानिए आखिर क्या है क्यू आर कोड का माजरा?

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देहरादून. उत्तराखंड प्रदेश में हर साल दिवाली पर अमूमन 1 हजार करोड़ के पटाखे बिक जाते है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जिन पटाखों को आप दीपावली के जश्न में शामिल करते हैं वो सेफ हैं भी या नहीं? इसका किसी को नहीं पता होता है. दरअसल, CSIR यानि NATIONAL ENVIORNMENT ENGINEERING RESEARCH INSTITUTE  द्वारा  पिछले साल से पटाखा कंपनी के लिए ग्रीन पटाखे का सर्टिफिकेट देना शुरू किया गया जिसमें बकायदा क्यूआर कोड मौजूद है. यह इसलिए कि इससे पटाखों की गुणवत्ता का पता चल सके. लेकिन, कई कंपनियां ऐसी हैं जो पूरी तरह से फर्जी क्यूआर कोड लगाकर पटाखे बेच रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, कुछ कंपनी ने पटाखों के रैपर पर जो क्यूआर कोड दिये हैं, उनमें न आपको कोई जानकारी मिलेगी और न ही वेबसाइट खुलेगी. दुकानदार अर्जुन सिंह बताते हैं कि वो बड़ी कंपनी के नाम पर पटाखे लेते हैं, अब उनमें सर्टिफिकेट है या नहीं, ये कोई नहीं देखता. वहीं आम जनता पटाखों के पैकेट पर क्यूआर कोड से पूरी तरह अंजान हैं.

स्थानीय निवासी मंजू, अंकित समेत कई लोगों का कहना है कि लोग मानते हैं जो बजट में आया वो पटाखा खरीद लिया. वहीं, कुछ लोग इसके लिए लोगों को जागरूक करना सही मानते हैं. साफ है कि दीपावली में पटाखे बनाने वाली कुछ कंपनी भी जमकर फर्जीवाड़ा कर रही है और क्यूआर कोड की आड़ में जमकर गड़बड़ी भी की जा रही है.

Tags: Diwali Celebration, Diwali festival, Green Crackers

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