दो पहिया वाहनों में युवाओं की पहली पसंद की बात करें तो नि:संदेह मोटरसाइकिल का नाम ही सामने आता है. रफ्तार के चलते अगर यह युवाओं की पहली पसंद है तो उम्रदराज लोगों को ये ज्यादा माइलेज देने के कारण लुभाती है. मोटरसाइकिल जिसे हम मोटरबाइक या बाइक के नाम से भी बुलाते हैं, की बात इसलिए हो रही है क्योंकि 10 नवंबर ही वो दिन था जब मोटरसाइकिल दुनिया के सामने आई थी, अवतरित हुई थी. 10 नवंबर 1985 के दिन जर्मन इंजीनियर गॉटलिब डेमलर (Gottlieb Daimler) और उनके एक साथी विल्हेम मेबैक (Wilhem Maybach) ने मोटरसाइकिल को पेश किया था. इन दोनों ने अपनी मोटरसाइकिल का नाम The Reitwagen रखा था. इसका अर्थ होता है सवारी कार.
इस पहली मोटरसाइकिल की अधिकतम रफ्तार थी 11 किलोमीटर प्रति घंटा. पेट्रोल से चलने वाली 264 सीसी के इंजन वाली इस मोटरसाइकिल का ढांचा लकड़ी से बनाया गया था, जिसमें साइकिल की तरह के हैंडल थे. इसका वजन 90 किलोग्राम था. रॉयल इनफील्ड यानी बुलेट ने सबसे पहले इंडिया में कदम रखा. बाद में हीरो, होंडा, बजाज, टीवीएस, यामहा आदि प्रमुख मोटरबाइक निर्माता कंपनियों ने देश में दस्तक दी.
भारतीय कंपनी हीरो ओर जापानी होंडा पहले एक छतरी के नीचे रहकर दो पहिया वाहन बनाया करते थे और देश पर एकछत्र राज्य करने वाले बाइक खिलाड़ी थे. ये दोनों अलग क्यों हुए इस पर भी बात करेंगे लेकिन पहले मूड को थोड़ा लाइट कर लेते हैं और एक चुटकुला सुनते हैं. बहुत पहले, इन दोनों कंपनियों के विच्छेद के मौके पर सुना एक मजेदार रेडियो प्रेंक सुनाने को दिल कर रहा है.
रेडियो जॉकी एक कॉल करता है और कहता है, ‘सर मैं होंडा से बोल रहा हूं. आपने पिछले महीने हीरो होंडा मोटरसाइकिल खरीदी थी.’ बाइक मालिक के हां में जवाब देने पर जॉकी कहता है, ‘आपको मालूम होगा हीरो होंडा अब अलग हो गई है.’ बाइकर कहता है ‘हां, पता है.’ जॉकी, ‘सर आपकी बाइक में जो होंडा के पार्ट हैं वो बाइक में से निकालना पड़ेंगे.’ बाइकर ‘कौन से पार्ट.’ जवाब मिलता है. ‘क्रेंक, पिस्टन, साइलेंसर आपको हमें देना पड़ेगा.’ बाइकर, ‘हमें रिप्लेसमेंट तो मिलेगा न.’ शरारती जॅाकी कहता है, ‘नहीं, इस बारे में आप इस बारे में हीरो वालों से बात करें.’ बाइकर के गुस्सा होने और पार्ट्स वापस नहीं करने की बात कहने पर जॉकी उसे धमकाता है, ‘आप ज्यादा परेशान करेंगे तो आपकी गाड़ी ही जब्त हो जाएगी.’ बाइकर घबरा जाता है और पॉर्ट्स वापस करने पर राजी हो जाता है. फोन कट जाता है. जॉकी आवाज बदलकर फिर कॉल करता करता है, ‘मैं हीरो से बोल रहा हूं’ वो बचे हुए पार्ट्स का नाम बताकर उन्हें निकालने का कहता है, कहता है ये हीरो के पार्ट्स हैं. आपको वापस करने होंगे.’ बाइकर परेशान हो जाता है कि ये क्या चक्कर है. बहरहाल बाद में जॉकी उसे बताता है कि बाइकर के साथ मजाक हो रहा था.
ये तो हुई मजाक की बात. लेकिन हीरो और होंडा के बिछड़ने पर ये संभावना तो लग ही रही थी कि दोनों डूब जाएंगे, हीरो के फ्लॉप की संभावना इसलिए ज्यादा लग रही थी क्योंकि हीरो सिर्फ बॉडी बनाता था, इंजन होंडा का ही लगता था. बहरहाल हीरो और होंडा के मिलने और बिछड़ने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. हीरो की नींव 1956 में ब्रजमोहन मुंजाल ने रखी थी. उन दिनों ये साइकिल बनाया करते थे और इस फील्ड के हीरो थे. बात उन दिनों की है जब देश में मोटरसाइकिल का बाजार बढ़ तो रहा था लेकिन राइडर्स उन दिनों के ब्रांड से खुश नहीं थे. भारतीय मध्यमवर्गीय उपभोक्ता हमेशा से किफायतपसंद रहा है. सो उसे ऐसी बाइक की तलाश थी जो बेहतर माइलेज तो दे ही, जिसमें मेंटेनेंस भी कम हो. इस मौके को मुंजाल ने भुनाया और जापान की कंपनी होंडा के साथ कोलेबरेशन करके मोटरबाइक की दुनिया में कदम रख दिया.
1985 में आई हीरो होंडा सीडी 100 ने लांच होने के साथ ही मार्केट कैप्चर कर लिया. मिडिल क्लास की इस पसंदीदा बाइक का क्रेज आप इससे समझ सकते हैं कि ये आज भी सेकंड हैंड मार्केट में अपनी जगह बनाए हुए है. समझौते की महत्वपूर्ण शर्त ये थी कि दोनों ही कंपनियां प्रतिद्वंद्वी के तौर पर कभी भी अपना प्रोडक्ट लांच नहीं करेंगी. बाद में दोनों में अनबन हो गई. दरअसल हीरो विकसित देशों में पैर पसारना चाहती थी और होंडा इस पर तैयार नहीं था. वहां उसका अपना बाजार जो था. हीरो चूंकि सिर्फ बॉडी बनाती थी और इंजन होंडा से लेती थी, इसलिए उसकी होंडा पर निर्भरता थी. इधर हीरो ने ये निर्भरता खत्म करने के लिए हाथ पैर चलाने शुरू किए उधर होंडा ने अपना असली चेहरा दिखा दिया और समझौते की शर्तों का उल्लंघन करते हुए भारत में अलग से होंडा मोटरसाइकिल उतार दीं. होंडा इस मुगालते में थी कि उनके जैसा इंजन बनाने की कुव्वत हीरो में नहीं है. लेकिन बेटे पवन मुंजाल ने साहसिक निर्णय लिया और 2010 में होंडा से विच्छेद कर लिया. इसके बाद की कहानी सबके सामने है. इस समय हीरो की बाइक होंडा की बाइक से ज्यादा पसंद की जाने वाली मोटरबाइक में शुमार हैं. हीरो की स्पलेंडर तो देश की सबसे पसंदीदा बाइक है.
भारत में सबसे पहले आने वाली मोटरसाइकिल की बात करें तो सन 1955 में भारत सरकार द्वारा पहली रॉयल एनफील्ड कंपनी की मोटरसाइकिल भारतीय सेना के लिए खरीदी गई. बाद के दिनों में 1984 में जापान की सुजुकी के साथ टीवीएस सुजुकी ने MAX 100 लांच की. फिर 1985 में हीरो होंडा आई. इसके बाद बजाज सहित दूसरी कंपनियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा.
भारत में बाइक के बादशाह की बात करें इससे पहले बता दें कि दुनिया की सबसे मंहगी बाइक नीमन मार्कस लिमिटेड एडीसल फाइटर (Neiman Marcus Limited Edition Fighter) है. इसकी कीमत 11 मिलियन डॉलर यानी 81.75 करोड़ रुपये है. दिलचस्प बात ये है कि नीमन मार्कस कंपनी कोई ऑटोमोबाइल कंपनी नहीं है बल्कि ये एक लक्जरी डिपार्टमेंट स्टोर्स ब्रांड है. कंपनी ने जब इस मोटरसाइकिल को नीलामी के लिए लांच किया तो इसकी कीमत में जबरदस्त उछाल देखने को मिला और ये दुनिया की सबसे मंहगी बाइक बन गई. वैसे बता दें सोशल मीडिया पर इस बारे में अलग-अलग जानकारी मौजूद हैं लेकिन सबसे विश्वसनीय जानकारी यही जान पड़ती है. इसी तरह भारत में सबसे मंहगी बाइक की बात करें तो उपलब्ध जानकारी के अनुसार डुकाटी 1299 सुपरलोंगेरा पहले नंबर पर है. इसकी कीमत 1.12 करोड़ है.
बात भारतीय बाइक के बादशाह रॉयल इनफील्ड यानी बुलेट की. 350 सीसी के इंजन वाली ये बाइक आज भी युवाओं की सबसे पसंदीदा बाइक है. यूं तो मोटरसाइकिल विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग तरह से डिजाइन होती हैं. मसलन सामान्य यात्रा के लिए अलग, लंबी दूरी के लिए अलग, क्रूजिंग के लिए अलग, खेल और रेसिंग के लिए जुदा तथा ऑफ रोड राइडिंग के लिए बिलकुल अलग. लेकिन बुलेट संभवत: आम लोगों की पहुंच वाली देश की इकलौती ऐसी बाइक है जो ऑफ रोड बाइकिंग के साथ-साथ शहरों की चिकनी सड़कों पर चलाने के लिए भी मुफीद है. ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर लंबा सफर तय करने के बाद भी इसमें थकान नहीं होती. यह भारतीय सड़कों के हिसाब से भी सटीक डिजाइन वाली बाइक है. इसके इंजन की ठक-ठक की मधुर आवाज सवार के साथ दूसरों को भी लुभाती है. इस बाइक के बारे में किसी ने खूब कहा है, ‘इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वो जो बुलेट चलाते हैं और दूसरे वो जो बुलेट चलाना चाहते हैं.’
शकील खानफिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.