बेंगलुरु. चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो ने दुनियाभर में अपना डंका बजा दिया. इसराे के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए देश के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करते रहे. इन्हीं में से एक हैं डॉ.पी. वीरमुथुवेल. वह चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे. उन्होंने ही सॉफ्ट लैंडिंग को सफलतापूर्वक संचालित किया था. अब डॉ. वीरमुथुवेल अपने मानवीय काम की वजह से दोबारा सुर्खियों में हैं. उन्हांेने हाल ही में अपने काॅलेज के एलुमिनाई एसोसिएशन 25 लाख रुपए का दान दिया है. यह पैसे इसरो वैज्ञानिक को चंद्रयान-3 की सफलता के बाद तमिलनाडु सरकार ने उपहारस्वरूप मिले थे.
46 वर्षीय डॉ. वीरमुथुवेल और उनके आठ सहयाेगियों को तमिलनाडु सरकार ने विक्रम लैंडर की सफलता के बाद उपहार में 25-25 लाख रुपए देकर सम्मानित किया था. लेकिन वैज्ञानिक ने अपना बड़ा दिल दिखाते हुए ये सारी धनराशि उन संस्थानों पूर्व छात्र संघों को दान देने का फैसला किया. उन्हांेने कहा है कि चंद्रयान की सफलता एक सामूहिक सफलता थी न कि व्यक्तिगत. इसलिए इस पुरस्कार को साझा करना सबसे अच्छा विकल्प था. मैंने इस पुरस्कार को उस संस्थान को देने का निर्णय लिया जिसने मुझे या मुझ जैसे वैज्ञानिकों को आकार दिया. डॉ. वीरमुथुवेल ने कहा कि मेरी अंतरात्मा मुझे इतनी बड़ी पुरस्कार राशि लेने की इजाजत नहीं दे रही थी इसलिए दान करना सबसे अच्छा विकल्प था.
घर के लिया है होम लोन
इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि यह उन्हें अब तक मिली पहली पुरस्कार राशि है. डॉ वीरमुथुवेल ने कहा, “मैं एक गरीब परिवार से आता हूं. मैंने विल्लुपुरम के एक सरकारी रेलवे स्कूल में पढ़ाई की है और फिर भी पैसा मेरे लिए ज्यादा मायने नहीं रखता है. इसरो हमें राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के लिए एक समृद्ध वातावरण देता है और यह सबसे संतोषजनक है. अपना घर बनाने के लिए डॉक्टर वीरमुथुवेल ने एसबीआई से 72 लाख रुपये का कर्ज लिया था. वह अभी भी वह कर्ज चुका रहे हैं. फिर भी उन्होंने कहा कि 25 लाख रुपये का अप्रत्याशित लाभ उनके पास रखने के लिए नहीं है. डॉ. वीरमुथुवेल की पत्नी कविता बालासुब्रमणि एक गृहिणी हैं और उनकी बेटी कोयंबटूर के एक गुरुकुलम में पढ़ती है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2023, 04:32 IST