Opinion: चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में मोदी गारaटी का पूरा जोर मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ इलाके के आदिवासी इलाकों में

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पीएम मोदी के रोड शो बीजेपी की चुनावी नैय्या पार लगाने में अब तक सफल साबित होते रहे हैं. इस बार मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के केन्द्र इंदौर में पीएम एक मेगा रोड शो करने जा रहे हैं. 14 नवंबर को जब प्रचार का भोंपू बंद होने में चंद घंटे बचे होंगे, तब पीएम इंदौर की सड़कों पर जनता के बीच होंगे. इंदौर के बड़ा गणपति मंदिर से शुरू होने वाला ये रोड शो इंदौर के विकास की जनक माता रानी अहिल्या बाई होल्कर की प्रतिमा तक जाएगी. 6 किलोमीटर से ज्यादा लंबे इस रोड शो के द्वारा बीजेपी की कोशिश है कि पूरे मालवा क्षेत्र को ये संदेश देना है कि अब तक वो बीजेपी के साथ खड़े रहें हैं तो आने वाले चुनावो भी उनके साथ ही रहें. बीजेपी को भरोसा है कि मोदी गांरटी का ये संदेश इस बार भी कारगर साबित होगा. 14 नवंबर को ही पीएम मोदी मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में भी बड़ी जनसभाएं करने वाले हैं. बैतुल, शाजापुर और झाबुआ में पीएम मोदी की सभाएं होंगीं. 14 नवंबर को पीएम मोदी दिल्ली नहीं लौट रहे बल्कि रांची में रुकेंगे.

14 और 15 को आदिवासी समाज के बीच पीएम मोदी
ठीक अगले दिन यानि 15 नवंबर को पीएम मोदी रांची में आदिवासियों के मसीहा बिरसा मुंडा स्मृति पार्क और स्वतंत्रता सेनानियों के म्यूजियम जाएंगे. इसके बाद वो बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए उलीहातू जाएं. रांची का उनका आखिरी कार्यक्रम खूंटी में होगा जहां वो जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर आदिवासी समुदाय को संबोधित करेंगे. बिरसा मुंडा को झारखंड, छत्तीसगढ़, एमपी से लगे इलाकों में आदिवासी भगवान की तरह पूजते हैं और उन्हे बिरसा भगवान भी कहा जाता है. पीएम मोदी ने उनके जन्मदिन को जनजातिय गौरव दिवस के रुप में मनाने का ऐलान किया था. इसी दिन नरेंद्र मोदी देश भर में विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे. यात्रा बिरसा मुंडा जयंती यानी जनजाति गौरव दिवस को झारखंड के खूंटी के आदिवासी इलाके से शुरू होगी. 25 जनवरी 2024 तक चलने वाली इस यात्रा की शुरुआत के चार दिन आदिवासी गांवों में होंगे. मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि न तो ये यात्रा राजनैतिक है और न ही ये यात्रा चुनावी राज्यों में जाएगी.

मालवा-निमाड़ इलाके पर विशेष जोर
दरअसल विपक्षी कांग्रेस भी मानती है कि मालवा-निमाड़ का इलाका बीजेपी का गढ़ रहा है. इस इलाके में विधानसभा की 230 सीटों में 66 सीटें हैं. लेकिन 2018 में कांग्रेस ने इस इलाके में बीजेपी से ज्यादा यानि 34 सीटें जीतीं थीं जबकि 2013 में कांग्रेस को महज 9 सीटें मिलीं थीं. यही कारण था कि कांग्रेस 116 सीटें जीतने में सफल रही थी और कमल नाथ मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे. आदिवासी वोट सिर्फ इस इलाके में नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में महत्वपूर्ण माने जाते हैं. राज्य में इनकी आबादी 21 फीसदी है. 2018 मे बीजेपी को आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 सीटों में सिर्फ 15 सीटें मिलीं थीं. जबकि कांग्रेस को 31 ओर एक निर्दलीय को मिली थी. लेकिन कमलनाथ की सरकार जाने के बाद बीजेपी ने आदिवासियों के तमाम आईकॉन को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. कई रेलवे स्टेशन उनके नाम से रखे गए हैं. आदिवासी त्योहारों को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है. खुद पीएम मोदी इन आदिवासियों के मसीहा माने जाने वाले आईकॉनों को सम्मान देने से पीछे नहीं रहतें हैं. जाहिर है आदिवासी वोटों पर इसका सकारात्मक असर रहा है.

मालवा से चंद और जगहों पर होने वाले नुकसान की भरपाई की कोशिश में बीजेपी
हालांकि मालवा निमाड़ इलाके में आदिवासी वोटों को प्रभावित करने वाली पार्टी जन आदिवासी युवाशक्ति रही है जो 2018 के चुनावों में ताकत के साथ उभरी. लेकिन इसकी भी आपसी कलह ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरा है. दो गुटों में बंटी ये पार्टी इस बार भी मैदान में है लेकिन कुछ कांग्रेस के साथ तो कुछ बीजेपी के साथ. इंदौर के सबसे बड़े बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय रहे हैं. वो भी इस बार इंदौर-1 से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी आलाकमान को भरोसा है कि वो न सिर्फ अपनी बल्कि आस पास की सीटों पर भई सकारासत्मक असर डालेंगे. बीजेपी इन चुनावों में इस इलाके को कितनी गंभीरता से ले रही है वो इस बात से ही पता चलता है कि चुनाव मैनेजमेंट का काम संभालने भोपाल पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह भोपाल की अपनी प्रेस कांफ्रेस रद्द कर के सीधा इंदौर के पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में पहुंचे ताकि कार्यकर्ताओं को जोश दिला सकें. इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी कहा था कि इस इलाके में कार्यकर्ता पार्टी को जीत दिला दें तो भोपाल मे सरकार बीजेपी की ही बनेगी.

बीजेपी के संकल्प पत्र में भी आदिवासी और किसानों पर फोकस
अपने चुनावी संकल्प पत्र में भी बीजेपी ने तंदूपत्ता संग्रहण दर को 4000 रुपये प्रति बोरी करने का ऐलान किया है. इससेस इस कार्य में लगे आदिवासी समुदाय के लोगों का लाभ होगा. साथ ही हर गरीब परिवार के सभी छात्रों के लिए 12 तक मुफ्त शिक्षा का ऐलान किया है. संकल्प पत्र में कहा गया है कि आदिवासी समुदाय के सशक्तिकरण के लिए अगले 5 सालों में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सशक्तिकरण के लिए अगले 5 साल में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सशक्तिकरण के लिए 3 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे. हर एसटी ब्लॉक में एकलव्य विध्यालय की स्थापना के साथ ही 3800 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. एसटी बाहुल्य जिलों में मंडला, खरगोन, धार, बालाघाट, सीधी में मेडिकल कॉलेज बनेंगे.

उधर किसाने के लिए भी एमएसपी पर बोनस की व्यवस्था के साथ साथ 2700 रुपये प्रति क्विंटल पर गेंहूं की खरीद और 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर धान की खरीद की जाएगी. पीएम किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना करे लाभार्थियों को 12000 रुपये की वार्षिक सहायता दी जाएगी. अब से तीन महीने पहले जो बीजेपी कार्यकर्ता जीत की उम्मीद नहीं कर रहा था, अब सड़कों पर है. लड़ाई बराबरी पर आ चुकी है. बीजेपी को भरोसा है मोदी गारंटी पर. उन्हें उम्मीद है कि पीएम मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता औऱ केन्द्र-राज्य सरकार की योजनाओं का असर बीजेपी के चुनावी नतीजों पर पड़ेगा.

Tags: Madhya Pradesh Assembly, Madhya Pradesh Assembly Elections 2023, PM Modi

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