बेंगलुरू: भारत इन दिनों साइंस की दुनिया में हर दिन नई सफलता की तलाश में है. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद सूर्य मिशन भी पूरा हो गया है. गगनयान (भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान) के लिए परीक्षण उड़ान भी पूरा हो गया है. बेंगलुरु में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ एम शंकरन ने रविवार को बताया कि भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी ISRO ने पृथ्वी के पड़ोसी ग्रहों पर अपनी नजरें जमा ली हैं.
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार उम्मीद है कि पांच साल के भीतर मंगल और शुक्र पर देश की उपस्थिति दर्ज हो जाएगी. डॉ. शंकरन जो इसरो में उस ‘पावरहाउस’ इकाई के प्रमुख हैं जो ऑर्बिट में मौजूद उपग्रहों के पीछे कार्य करता है, ने कुछ चुनौतियों की पहचान की है. लेकिन पता चला कि मिशन अवधारणाओं पर आंतरिक बातचीत पहले से ही चल रही है.
प्रत्येक की अपनी-अपनी चुनौतियां होती हैं, जैसे मंगल के वायुमंडल में प्रवेश करते समय अंतरिक्ष यान का ज़्यादा गरम होना और प्रत्येक मिशन के लिए एक उपयुक्त विंडो ढूंढना. फिर आम लॉजिस्टिक चुनौतियां हैं, जैसे भारी पेलोड के साथ-साथ अधिक ईंधन, अधिक उपकरण इत्यादि ले जाने में सक्षम लॉन्च वाहनों को विकसित करना. जो मंगल, शुक्र या उससे आगे के मिशनों के लिए आवश्यक हैं.
डॉ. शंकरन ने आगे बताया कि ‘पिछले कुछ वर्षों से… हम मंगल ग्रह पर उतरने के लिए मिशन कॉन्फ़िगरेशन का अध्ययन कर रहे हैं. दो चीजें हैं जो हमें रोक रही थीं. एक थी चंद्रयान-2 की असफल लैंडिंग, जिसने लैंडिंग के लिए आवश्यक सेंसरों में हमारे विश्वास को धीमा कर दिया. ऐसा नहीं था कि सेंसर ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन चूंकि हम अपना अंतिम लक्ष्य हासिल नहीं कर सके, इसलिए हमें यकीन नहीं था कि ये पर्याप्त थे या नहीं. अब हम जानते हैं कि क्या किया जा सकता है, हम आगे बढ़ सकते हैं.’
उन्होंने आगे बताया कि ‘दूसरा भारी भरकम उपकरणों को कक्षा में स्थापित करने की हमारी क्षमता के बारे में है. अब, वर्तमान LVM3 (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III- इसरो द्वारा विकसित तीन-चरण मध्यम-लिफ्ट लॉन्च वाहन) क्षमता के साथ, अभी भी हमारे पास लैंडिंग आवश्यकताओं को पूरा करने का अंतर है क्योंकि यह काफी अधिक है. इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं. गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के अलावा, चंद्रमा की तरह, वातावरण भी एक चुनौती है. मंगल के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान होने वाली गर्मी (अंतरिक्ष यान की) के लिए अतिरिक्त थर्मल सुरक्षा की आवश्यकता होती है, जो फिर से बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन हम इसका अध्ययन कर रहे हैं.’
नवंबर 2013 में लॉन्च किए गए मंगलयान की सफलता के बाद प्रस्तावित मंगल मिशन भारत का दूसरा मिशन होगा. देश के पहले मंगल मिशन ने सितंबर 2014 में ग्रह की परिक्रमा शुरू की और पिछले साल अक्टूबर में इसरो के मॉड्यूल से संपर्क टूटने से पहले बड़ी मात्रा में अमूल्य डेटा भेजा. वहीं शुक्र ग्रह का मिशन भारत का पहला होगा.
सितंबर में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने पुष्टि की थी कि शुक्र मिशन को कॉन्फ़िगर किया गया था और कुछ पेलोड विकास के अधीन थे. एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इसरो अंतरिक्ष की जलवायु का विश्लेषण करने के लिए अध्ययन की योजना बना रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 12:52 IST