हाइलाइट्स
आतिशबाजी का कहर
एसएमएस पहुंचे कुल 38 पीड़ित
25 को प्राथमिक उपचार के बाद दी छुट्टी
जयपुर. दीपावली के मौके पर बीते तीन दिनों में आतिशबाजी के दौरान 11 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई. यह आंकड़ा तो केवल राजधानी जयपुर के एसएमएस अस्पताल का है. प्रदेश के अन्य हिस्सों में आतिशबाजी के कारण आंखें चोटिल होने के मामले अलग हैं. जयपुर में आतिशबाजी के कारण आंखों की रोशनी गंवाने वाले ज्यादातर पीड़ितों की उम्र 8 से 18 साल के बीच है. कई मरीजों की आंख का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया. इनमें दो साल का एक छोटा बच्चा भी शामिल है. इन पीड़ितों में केवल बीकानेर, झुंझुनूं और जयपुर के मरीज शामिल हैं.
एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज शर्मा ने बताया दिवाली पर पटाखों के कारण चोटिल होने वाले कुल 38 मरीज एसएमएस हॉस्पिटल पहुंचे थे. इनमें 25 पीड़ितों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई. लेकिन 13 पीड़ितों की आंखों की हालत गंभीर होने के कारण उनको उपचार के लिए एडमिट किया गया था. उनमें से 11 की रोशनी पूरी तरह से चली गई है.

सभी मरीजों की आंखों के ऑपरेशन किए गए थे
डॉ. पंकज शर्मा ने बताया कि आतिशबाजी के दौरान लगी चोटों के कारण इन 11 पीड़ितों की आंखों के रेटिना और कॉर्निया बुरी तरह डैमेज हो गए थे. ये सभी सवाई मानसिंह चिकित्सालय के चरक भवन स्थित नेत्र रोग विभाग में भर्ती हैं. वहीं दो पेशेंट्स की मानइर इंजरी है. एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती हुए इन सभी मरीजों की आंखों के ऑपरेशन किए गए थे. इनके पटाखों के कारण चोट इस कदर लगी कि भी कई पेशेंटस की तो आंख ही बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी.
चोट के कारण आंखों की शेप ही खत्म हो गई
इन 13 लोगों की आंखों में गंभीर क्षति के मामले सामने आए थे. इन लोगों की आतिशबाजी में काम आने वाले सूतली बम और अनार ब्रस्ट होने के साथ ही पटाखों से पत्थर के छोटे टुकड़े निकलने के कारण आंखों की शेप ही खत्म हो गई. अभी दो मरीजों की रोशनी बरकरार रहने की उम्मीद है. डॉ. शर्मा ने बताया कि पटाखे चलाते समय चश्मे का प्रयोग जरूरी करना चाहिए. पटाखे चलाते समय बच्चों पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए. बीते दिनों इस तरह के पटाखों के साथ चश्मा लगाने की विशेष हिदायत दी गई थी.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 15:57 IST
