नई दिल्‍ली. बीएपीएस द्वारा 12 नवंबर को चोपड़ा पूजन का आयोजन किया गया. दिवाली के दिन हुई इस पूजा में मां शारदा और मां लक्ष्मी, हनुमंत जी की के साथ साथ नए बहीखाता की पूजा की गयी. वहीं अक्षरधाम मंदिर, गोंडल में दिवाली का चोपड़ा पूजन का पर्व मनाया गया. इस खास मौके पर कई भक्त जनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई.

मंदिर के सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान करीब 3000 से अधिक चोपड़ा लेकर सभी भक्त जन उपस्थिति रहे थे. वहां वैदिक पूजा के द्वारा इस सभी सरस्वती पूजा के अंतर्गत चोपड़ाओं का पूजन किया गया. इस पूजन के दौरान हमारे वेद उपनिषद में वर्णित भगवान की स्तुति एवं अक्षर पुरुषोत्तम का गान स्व:स्वर मात्रा से सभी संतों लोगों ने किया. अंत में परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने सभी भक्तों और भाविकों के चोपड़ा पर प्रसादी युक्त अक्षत की वर्षा करने के लिए संतों को भेजकर इस उसत्व को सभी के लिए स्मरणीय बना दिया.

अक्षरधाम मंदिर, गोंडल में चोपड़ा पूजन करते महंत स्वामी जी महाराज.

ऐसा सरस्वती पूजन, लक्ष्मी पूजन और शारदा पूजन और हनुमत: पूजन का सुंदर कार्यक्रम दीपावली के दिन विक्रम संवत 2079 के अंतिम दिन पर गोंडल में महंत स्वामी महाराज की मौजूदगी में संपन्न हुआ. करीब 12 से 15 हजार लोगों ने इस उत्सव का लाभ लिया.

अन्नकूट पूजा में 700 से अधिक व्यंजनों का भोग लगा

अन्नकूट पूजा में भगवान को 700 से अधिक व्यंजनों का भोग लगाया गया.

गोंडल के अक्षरधाम में अन्नकूट उत्सव मनाया गया. इस मौके पर 700 से अधिक शाकाहारी व्यंजनों से भगवान को भोग लगाया गया. गुजराती नव वर्ष अन्नकूट पूजा के दिन होता है. इसे गोवर्धन पूजा के नाम से भी जाना जाता है. भारतवर्ष की धार्मिक परंपरा में अन्नकूट उत्सव अपना एक विशिष्ट स्थान बनाकर रहा है. बीएपीएस के हर एक मंदिर में शाकाहारी व्यंजनों का कलात्मक कोटी इस अवसर पर रचा जाता है. उसके अंतर्गत परंपरा पूज्य महंत स्वामी महाराज के दिव्य सानिध्य में अक्षर मंदिर गोंडल में ऐसा ही अन्नकूट उत्सव मनाया गया. उसमें दिल्ली, न्‍यू जर्सी और गांधीनगर के अक्षर धाम के प्रति कृतियां भी व्यंजनों में से ही बनाई गयीं.

अगले साल महंत स्वामी महाराज के कर कमालों से उद्घाटित होने वाले अबू धाबी के मंदिर की प्रति कृति भी सुचारू रूप से यहां व्यंजनों में से निर्मित करके रखी गई थी. इस उत्सव का लाभ लेने के लिए पूरे दिन में करीब 30 से 40 हजार हरि भक्तिों की भीड़ रही.

मंदिर का प्रशासन और व्यवस्था इतना अच्छा रहा. किसी को भी किसी भी प्रकार की तकलीफ का अनुभव नहीं करना पड़ा. महंत स्वामी महाराज के सानिध्य में सभी संतों ने भगवान के समक्ष रखे गए व्यंजनों को अति प्रेम से भगवान को अर्पित किया और सुंदर गान भी यहां संपन्न हुआ. भगवान स्वामी नारायण के परंम हंसों ने जो राजभोग के थाल की रचनाएं की है, उसमें से ही कुछ थाल का संगीत से यहां भगवान के समक्ष प्रस्तुति की गई. अन्नकूट उत्सव भी महंत स्वामी महाराज के उपस्थिति में गोंडल के अक्षरधाम मंदिर में संपन्न हुआ.

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