हेट स्‍पीच का आरोप था फिर भी विक्टोरिया गौरी बनीं हाई कोर्ट में जज? CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया जवाब

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नई दिल्‍ली. भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि केवल वकील के रूप में रखे गए विचारों के आधार पर जजशिप पर आपत्ति नहीं जताई जा सकती है. वे मद्रास हाई कोर्ट में जस्टिस विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. यह सवाल हार्वर्ड लॉ स्कूल में हाल ही में एक बातचीत के दौरान पूछा गया था. इसमें एक दर्शक सदस्‍य ने वकीलों द्वारा उनके सार्वजनिक बयानों के खिलाफ शिकायतें उठाने के बावजूद कॉलेजियम द्वारा सिफारिश वापस नहीं लेने पर चिंता जताई थी.

दरअसल बीते महीने हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई चंद्रचूड़ शामिल हुए थे. यहां उनसे पूछा गया था कि ‘…आपकी अध्यक्षता वाला कॉलेजियम, उस सिफारिश को वापस लेने में सक्षम क्यों नहीं था जबकि प्रशासनिक पक्ष देखा जाना चाहिए था. क्‍या सिफारिश वापस लेना चाहिए थी जब मामले की समीक्षा लंबित हो? इस मामले को देखने के लिए आपने जो पीठ गठित की थी, उसने भी कहा था कि कॉलेजियम को दिए गए अभ्यावेदन के बावजूद, आप सभी ने उस सिफारिश को वापस लेना उचित नहीं समझा. ये सवाल मद्रास हाई कोर्ट में विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के बारे में था. उन पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने का आरोप लग रहा था.

हेट स्‍पीच का आरोप था फिर भी विक्टोरिया गौरी बनीं हाई कोर्ट में जज? CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया जवाब

न्‍यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में कई स्‍तरों पर जांच होती है
सीजेआई चंद्रचूड़ ने न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में जांच एजेंसियों सहित विभिन्न संस्थाओं से कई स्तरों की जांच और प्रतिक्रिया के बारे में बताया. उन्‍होंने कहा कि उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा बार में पदोन्नति के लिए नामों का प्रस्ताव करने के बाद, सिफारिशें ‘पूरे सिस्टम में यात्रा करती हैं. यह यात्रा उच्च न्यायालय से राज्य सरकार तक, राज्य सरकार से केंद्र सरकार तक, और अंत में, केंद्र से सर्वोच्च न्यायालय तक जारी रहती है.’ उन्‍होंने कहा कि उम्मीदवार के बारे में पूरी तरह से गहन जांच होती है. फिर, उन्होंने पारदर्शिता को बढ़ावा देने और जजशिप के लिए विचार किए जाने वाले व्यक्तियों की गोपनीयता की रक्षा के बीच नाजुक संतुलन पर प्रकाश डाला. उन्‍‍‍‍हाेंने अत्यधिक जांच के कारण न्यायिक कार्यालय स्वीकार करने के लिए योग्य व्यक्तियों की अनिच्छा के बारे में आशंकाएं भी जताईं.

Tags: Collegium, DY Chandrachud, Hate Speech, Justice DY Chandrachud, Madras high court, Supreme Court

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