अस्तित्वविहीन मिली तीन दवा कंपनियां,कार्रवाई शुरू की गई
BIJNOR। जनपद में औषधि निरीक्षक की जांच में लगातार नकली दवाइयां पकड़ में आ रही हैं। लेकिन आश्चर्य तो ये है कि निरीक्षण में दवा निर्माण इकाइयां भी अस्तित्व विहीन हैं। जिसके बाद औषधि निरीक्षक ने तीन मेडिकल स्टोर संचालकों सहित एक क्वेक्स के विरुद्ध कोर्ट में मुकदमा दर्ज करा दिया है। जिसमें उन्होंने घर पर दवाई बनाकर बेचने का आरोप पत्र दाखिल किया है।
औषधि निरीक्षक उमेश भारती ने अलग-अलग अवैध मेडिकल स्टोर, क्वैक्स से दवाइयों का नमूना जांच के लिए भेेजा था। Dr हैदर का जीवन हॉस्पिटल,गंगोड़ा जट में क्वेक्स dr हर्षित, अह्यत मेडिकल,आलम मेडिसिन प्वाइंट नजीबाबाद से अलग-अलग कंपनियों की दवा शामिल थी। पांच दवाइयों के नमूने जांच में नकली पाए गए। इनमें साल्ट के स्थान पर सिर्फ पाउडर ही मिला। ऐसे में मरीजों को बीमारी में इन दवाइयों से आराम तो मिलता नहीं उल्टे सही उपचार नहीं मिलने से रोग घातक रूप धारण कर लेता है। ये दवाइयां मैसर्स डॉक्टर जी फार्मा प्राइवेट लिमिटेड सिडकुल हरिद्वार, मैसर्स मैक्सवेल फार्माल्युशन प्राइवेट लिमिटेड सेलापुरी देहरादून, मैसर्स मैडोकॉल फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड पुहाना इकबालपुर हरिद्वार का नाम पैकिंग पर था। किंतु जब औषधि निरीक्षक ने उक्त स्थानों जाकर निरीक्षण किया तो इनमें से कोई भी कंपनी अस्तित्व में ही नहीं पाई।
जांच में नकली पाई गई दवाइयों नाम
जिला औषधि निरीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार ट्राइमोक्स-250 कैप्सूल जांच में नकली मिला। जो मैसमॉक्स सीवी 625 टेबलेट, मोक्सिम अज एलबी, मेडोक्स 200 दवा जांच में नकली मिलीं। जिस पर मैसर्स डॉक्टर जी फार्मा प्राइवेटर्स मैक्सवेल फार्माल्युशन प्राइवेट लिमिटेड सेलापुरी देहरादून कंपनी में बना था। इसके अलावा मोक्सिम-ओएलबी टेबलेट का नमूना भी जांच में नकली पाया गया। इस दवा पर मैसर्स मैडोकॉल फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड पुहाना इकबालपुर हरिद्वार का लेबल बनाया था।
औषधि निरीक्षक उमेश भारती ने बताया कि दवाइयों के नमूने नकली आने पर जांच के लिए वह कंपनियों का मौके पर निरीक्षण करने गए थे। मगर कंपनी अस्तित्व में ही नहीं मिली। जिसके कारण अब मेडिकल स्टोर संचालकों के विरुद्ध कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।