सूचना विभाग के कर्ता धर्ता उर्दू अनुवादक ने रेवड़ियों की तरह बांट दिए प्रेस पास ?
मतदान के दौरान प्रेस पास के दुरुपयोग की संभावना नहीं किया जा सकता ?
BIJNOR। जिला सूचना अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) की व्यस्तता के कारण सूचना विभाग के कर्ता धर्ता उर्दू अनुवादक अपने पद का अनुचित लाभ उठाते हुए इलेक्शन कमीशन द्वारा प्रेस कार्ड जारी किए थे।जिनकी बंदर बॉट करते हुए अपात्रों,असामाजिक तत्वों व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को अवैध उगाही कर बांट दिए गए।जिनका दुरूपयोग होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रेस कार्ड की मांग को लेकर पत्रकारों द्वारा हंगामा खड़ा करने पर, पत्रकारों को स्थानीय स्तर पर आनन फानन में छपवाए गए प्रेस कार्ड जारी कर शांत कर दिया गया है।
अंधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह चीन्ह के दे। जी हां ये पुरानी कहावत आज भी प्रासंगिक है। कम से कम पश्चिम उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर का सूचना विभाग तो इस पर बाकायदा अमल करते दिखता है। दरअसल मौका है लोकतंत्र के महापर्व; आम चुनाव का। शासन प्रशासन की नीतियों, योजनाओं के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया जगत की है। सात चरणों में होने वाली मतदान प्रक्रिया के तहत माह अप्रैल की 19 तारीख से शुरुआत है। मतदान संबंधी कवरेज के लिए सूचना विभाग से प्रेस पास जारी किए जाते हैं। इनमें चुनाव आयोग से जारी पास के अलावा स्थानीय स्तर से भी कार्ड बनाए जाते हैं। बताया जाता है कि सूचना विभाग को आयोग से करीब 85 कार्ड भेजे गए थे। बस इन्हें जारी करने में ही खेल कर दिया गया। अफसरों को भी खुद से तुच्छ समझने वाले यहां तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने कार्ड जारी करने में घपला कर डाला। सूत्रों के अनुसार इस कर्मचारी ने सादे कागज पर मीडिया कर्मियों के हस्ताक्षर करा लिए। बाद में निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश कर दिए गए। फिर शुरू हुआ जात बिरादरी, अपने पराए का खेल। वास्तविक पत्रकारों को कार्ड जारी ही नहीं किए गए, गुरुवार देर शाम तक प्रेस पास के लिए वास्तविक पत्रकारों को जिला सूचना कार्यालय के चक्कर लगाते देखा गया। बमुश्किल कुछ को ही लोकल स्तर से कार्ड जारी किए जा सके। गौरतलब है कि उक्त कर्मचारी दो दिन पूर्व ही प्रशासन के व्हाट्सएप ग्रुप में धार्मिक पोस्ट डालने पर उच्चाधिकारियों द्वारा लताड़ा जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग द्वारा जनपद को पत्रकारों के लिए 85 प्रेस पास जारी गए थे।लेकिन सूत्रों की माने तो उनमें से अधिकांश अपात्रों व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को जारी कर दिए गए हैं। जबकि पत्रकारों का हंगामा होते देख आनन फानन में स्थानीय स्तर पर प्रेस पास छपवा कर पत्रकारों व उनके दाए बाए के लोगों को बाट कर उपकृत किया गया। ताकि पत्रकारों की उचित मांग को दबाया जा सके।
इस संबंध जिला सूचना अधिकारी को फोन पर उनका वर्जन चाहा तो डिप्टी कलेक्टर ने फोन रिसीव नहीं किया।