पूरे विश्व में स्थापित होगी चैतन्य महाप्रभु की 1008 चरण पादुका चिन्ह – जयपताका स्वामी
वृंदावन। श्रीधाम वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित भक्ति वेदान्त स्वामी गौशाला पर ब्रज पाद पीठम उत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें चैतन्य महाप्रभु की चरण पदुका का अभिषेक एवं पूजन कार्यक्रम आयोजित हुआ। अभिषेक का कार्यक्रम मुख्य अतिथि जयपताका स्वामी महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ।
चरण पादुका पूजन कार्यक्रम में श्रीधाम वृंदावन के सप्त देवालयों के गोस्वामियों के साथ साथ साधु संत उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में ठाकुर राधा दामोदर मंदिर के सेवायत बड़े गोसाई महाराज आचार्य कनिका प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु एक भारतीय संत, धार्मिक नेता, और भक्तिमार्ग के प्रमुख प्रवर्तक थे। उनका जन्म 1486 ईसा पूर्व के आस-पास नवद्वीप, बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। वे एक उत्तम शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु, और सामाजिक नेता थे, जिन्होंने भगवान कृष्ण की प्रेम-भक्ति को बड़े जोर-शोर से प्रचार किया।
चैतन्य महाप्रभु ने सामाजिक एवं धार्मिक सुधार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने लोगों को भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होने का संदेश दिया और भक्ति के माध्यम से समाज को उद्धार करने का प्रयास किया। उनका उद्दीपन ने गौड़ीय वैष्णव धर्म को एक नया जीवन दिया और उन्हें एक महान धार्मिक आंदोलन के नेतृत्व का दर्जा प्राप्त है।
मरीचि दास महाराज ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु के भगवान कृष्ण के प्रेम में उल्लेखनीय भक्ति और उनके भक्तिगीत संगीत की कहानी काफी प्रसिद्ध है। उनके सामाजिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण ने भारतीय समाज को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चैतन्य महाप्रभु के जीवन और उनके उपदेशों का प्रभाव आज भी धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक जीवन में महसूस किया जा रहा है।
कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि चैतन्य महाप्रभु द्वारा विश्व के प्रत्येक स्थान जहां उन्होंने निवास किया है और प्रवचन दिए हैं ऐसे सभी स्थानों पर उनके चरण चिन्ह स्थापित किये जायेंगे। अभी ब्रज के मुख्य स्थान वृन्दावन , राधाकुंड, गोवेर्धन, नंदगाँव, बरसाना, कामवन, भांडीरवन आदि क्षेत्रों में चरण पदुका चिन्ह स्थापित की जाएगी।
आज देश के कोने-कोने से भक्तों ने श्रीधाम वृंदावन आकर महाप्रभु जी की चरण पादुका का पूजन किया है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से आचार्य पद्मनाभ गोस्वामी महंत सुंदर दास महाराज करुण गोस्वामी कृष्ण बलराम गोस्वामी गोपीनाथ गोस्वामी अभिनव गोस्वामी गोपाल कृष्ण गोस्वामी दामोदर चंद्र गोस्वामी पुरुषोत्तम महाराज पंचगौड़ा दास राखल राजा प्रभु मुकुंद वासुदेव सुकृति प्रभु के साथ-साथ अनेक संत उपस्थित रहे।