सजातीय प्रेम कहानी बनी पंचायत का विवाद, परिवार को सजा और बहिष्कार का बहिष्कार
हालाँकि, इस प्रेम कहानी का सुखद अंत परिवार के लिए दुःखद परिणाम लेकर आया। शुक्रवार को गांव में हुई पंचायत में 80 वर्षीय युवक की मां और उसके छोटे भाई-बहन को बहिष्कृत की सजा सुनाई गई। पंचों ने निर्णय लिया कि इस परिवार को किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा और न ही गांव के किसी भी व्यक्ति को प्रवेश दिया जाएगा। इस कठोर निर्णय से परिवार के सदस्यों का नाम हो गया।
पंचायत का अस्वच्छ निर्णय
ग्राम प्रधान सती कुमार ने पंचायत में शामिल होने की बात स्वीकार की है, लेकिन उनकी जानकारी में परिवार के बहिष्करण के फैसले के बारे में नहीं बताया गया है। उनका कहना था कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को देखने के लिए ऐसा किया गया था।
युवा-युवती का मामला
25 नवंबर को अपने पड़ोसी युवक के साथ लड़की का घर छूट गया था। बिजनेस के जर्नलिस्ट ने युवाओं और उनके मौसेरे भाई के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने दोनों को बरामद कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें स्वतंत्र रहने की अनुमति मिल गई।
परिवार पर संकट
युवाओं के गांव छोड़ने के बाद उनकी मां और छोटे भाई-बहन के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। शनिवार को एक युवा की मां ने थाने में शिकायत दर्ज कराई कि वे यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से धमका रहे हैं। उनका कहना है कि बेटे ने जो किया, उसमें उनका कोई दोष नहीं है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसपी ईस्ट धर्म सिंह मार्शल ने बताया कि युवक और युवतियां दोनों बालिग हैं और कोर्ट के आदेश पर स्वतंत्र हैं। पंचायत के बहिष्करण की जानकारी नहीं है। वकील धामपुर रितु रानी ने भी कार्रवाई की शिकायत बैठक में दी है।
ग्रामीण समाज के प्रश्न
इस घटना में ग्रामीण समाज में परिवार के सदस्यों और मनोवैज्ञानिकों को लेकर सवाल पूछे गए हैं। यह तुगलकी चुनौती न केवल कानूनी पंचायत को जन्म देती है, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना को भी ठेस पहुँचाती है।