बिजली के निजीकरण के खिलाफ 22 दिसंबर को लखनऊ में होगी विशाल बिजली पंचायत
Lucknow। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बिजली के निजीकरण के विरोध में 22 दिसंबर को लखनऊ के राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में एक विशाल बिजली पंचायत का आयोजन किया जाएगा। यह पंचायत दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। इसमें बिजली कर्मचारी, अभियंता, संविदा कर्मी, किसान और आम उपभोक्ता बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
विशेषज्ञों और पदाधिकारियों की उपस्थिति
इस पंचायत में राष्ट्रीय स्तर के कई प्रतिष्ठित संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी. रात्नाकर राव, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर.के. त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल प्रशांत चौधरी और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा सहित कई प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, राज्य कर्मचारी महासंघ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, और अन्य श्रम संगठनों जैसे भारतीय मजदूर संघ, एटक, इंटक, सीटू और एक्टू के पदाधिकारी भी पंचायत में शामिल होंगे।
निजीकरण का विरोध और आंदोलन की रणनीति
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली के निजीकरण के खिलाफ व्यापक रणनीति पर चर्चा और निर्णय बिजली पंचायत में किया जाएगा। समिति ने आरोप लगाया है कि घाटे के भ्रामक आंकड़े देकर और भय का वातावरण बनाकर प्रदेश के 42 जिलों में विद्युत वितरण का निजीकरण किया जा रहा है, जिसका समिति पुरजोर विरोध करेगी।
अभियंताओं को दी जा रही धमकियों की निंदा
संघर्ष समिति ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक पर आरोप लगाया है कि वे अभियंताओं को एकमुश्त समाधान योजना के तहत काम करने के बावजूद, संघर्ष समिति की बैठकों में भाग लेने पर धमकी दे रहे हैं। समिति ने इसे अशोभनीय और निंदनीय बताया है। पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि भाषा की मर्यादा का पालन नहीं किया गया, तो समिति विधिक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगी।
संघर्ष का आह्वान
बिजली पंचायत के माध्यम से निजीकरण के विरोध में बड़े स्तर पर संघर्ष के कार्यक्रम घोषित किए जाएंगे। समिति ने सभी संबंधित पक्षों से अपील की है कि वे निजीकरण के खिलाफ इस अभियान में एकजुट होकर हिस्सा लें।