बिजली का निजीकरण रोकने के लिए निर्णायक संघर्ष का ऐलान
बिजली पंचायत में कर्मचारियों ने ‘‘करो या मरो’’ की भावना से लिया अनिश्चितकालीन आंदोलन का निर्णय
Lucknow: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में रविवार को आयोजित ‘‘बिजली पंचायत’’ में बिजली कर्मियों और अभियंताओं ने निर्णायक संघर्ष का ऐलान किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की अगुवाई में आयोजित इस पंचायत में सरकार के निजीकरण के फैसले का विरोध करते हुए चेतावनी दी गई कि जैसे ही निजीकरण की बिडिंग प्रक्रिया शुरू होगी, समस्त बिजली कर्मी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे।
पंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं पर बिजली पंचायतें आयोजित की जाएंगी, और जनता को निजीकरण के दुष्प्रभावों से अवगत कराया जाएगा। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे निजीकरण रोकने में प्रभावी हस्तक्षेप करें और कर्मचारियों के साथ हुए समझौतों का पालन सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री से अपील
पंचायत में पारित प्रस्ताव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सराहना करते हुए उनसे निजीकरण रोकने की अपील की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि बिजली कर्मियों ने बीते सात वर्षों में एटी एंड सी हानियों को 41 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत कर दिया है, और वे इसे 12 प्रतिशत तक लाने में सक्षम हैं।
निजीकरण के खिलाफ व्यापक जनजागरण
बिजली पंचायत ने कहा कि निजीकरण का विरोध करने के लिए प्रदेश भर में ‘‘बिजली रथ’’ निकाले जाएंगे और जनता को जागरूक किया जाएगा। पंचायत में वक्ताओं ने आगरा और ग्रेटर नोएडा में हुए निजीकरण के असफल प्रयोगों का हवाला देते हुए इसे प्रदेश पर थोपे जाने का विरोध किया।
संघर्ष में व्यापक समर्थन
इस पंचायत में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, विभिन्न कर्मचारी संगठनों के नेता और श्रम संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक प्रशांत चौधरी ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न हुआ या उन्हें आंदोलन के लिए बाध्य किया गया, तो पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी उनके साथ खड़े होंगे।
निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी
पंचायत में यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि यदि सरकार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु बिडिंग प्रक्रिया शुरू करती है, तो कर्मचारियों और अभियंताओं द्वारा आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन की रूपरेखा समय आने पर घोषित की जाएगी।
एकीकरण और पुनर्गठन की मांग
पंचायत ने मांग की कि यूपीएसईबी का पुनर्गठन किया जाए और ओबरा व अनपरा की नई परियोजनाओं को राज्य विद्युत उत्पादन निगम को सौंपा जाए।
बिजली पंचायत में शामिल प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के इस कदम से जनता के अरबों रुपये की संपत्तियां कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में चली जाएंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया, तो इसका विरोध पूरे प्रदेश में उग्र रूप ले सकता है।
यह आंदोलन आने वाले दिनों में प्रदेश की ऊर्जा व्यवस्था और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।