बिजली निजीकरण के विरोध में झांसी बिजली पंचायत का निर्णायक संघर्ष का ऐलान.
JHANSi. झांसी में आयोजित बिजली पंचायत में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष की घोषणा की। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूरा विश्वास है। बिजली कर्मचारी लगातार सुधार के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन पॉवर कॉर्पोरेशन का शीर्ष प्रबंधन निजीकरण की प्रक्रिया से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का माहौल बना रहा है।
काली पट्टी बांधकर होगा विरोध
संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि 1 जनवरी को बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज करेंगे और इसे “काला दिवस” के रूप में मनाया जाएगा। झांसी की बिजली पंचायत में उरई, महोबा, ललितपुर, और झांसी के बिजली कर्मियों, संविदा कर्मचारियों और अभियंताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
निजीकरण से महंगी होगी बिजली
संघर्ष समिति ने कहा कि सरकारी विद्युत वितरण निगम कम लागत पर घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान करते हैं, जबकि निजी कंपनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं। निजीकरण के बाद बिजली दरों में तीन गुना तक वृद्धि हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17.71 रुपये प्रति यूनिट हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 6.50 रुपये प्रति यूनिट है।
निजीकरण की शर्तों पर सवाल
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कॉर्पोरेशन ने निजीकरण के मसौदे में वितरण निगम की समस्त भूमि मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की लीज पर निजी कंपनियों को देने और लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को बिना मूल्यांकन के बेचने की साजिश रची है। उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मसौदे को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
प्रयागराज में होगी अगली पंचायत
संघर्ष समिति ने घोषणा की कि 5 जनवरी को प्रयागराज में अगली बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी।
प्रबंधन पर गंभीर आरोप
झांसी बिजली पंचायत में पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और क्षेत्रीय प्रबंध निदेशकों पर मनमाने निलंबन और दंडात्मक कार्रवाइयों का आरोप लगाते हुए कहा गया कि यह कर्मचारियों को डराने-धमकाने का प्रयास है। समिति ने चेतावनी दी कि अगर इस रवैये पर रोक नहीं लगाई गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
संघर्ष समिति के प्रमुख वक्ता:
शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय, पी.