“PRESS FREEDAM” ? जिम्मेदार कौन है ?
आप और हम!
जब तक हम सब अपने जमीर को नहीं जगाएंगे नहीं,इसको गिरने से कौन रोक सकता है?
दूसरों को दोष देने से पहले, हमें अपने स्व हितों को त्यागना होगा।निर्भीक, निष्पक्ष,निडर होकर लेखनी का इस्तेमाल करना सीखना होगा,अगर आप में हिम्मत,साहस,क्षमता नहीं तो उनका साथ दीजिए जो राह पर आगे कदम उठाए हैं,और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।ऐसा नहीं होना चाहिए, कि हम अपने निजी स्वार्थों,विचारों को दूसरों पर थोपने के लिए स्वतंत्र होकर लिखने वाले अपने साथियों विरुद्ध खड़े दिखाई देते हो, ओर व्याख्यान प्रेस की स्वतंत्रता का देते रहें। मैं यह बात किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं लिख रहा हूं।सभी पत्रकार बंधुओं के लिए लिख रहा हूं, केवल व्याख्यान भर देकर प्रेस की स्वतंत्रता वाले सेनानी बनने का स्वांग रचते हैं। कम से कम स्वतंत्र होकर लिखने वाले साथियों को लिखने बोलने में व्यवधान उत्पन्न न करें!
अधिकांश स्थानीय पत्रकारों की कार्यशैली इससे भिन्न दिखाई नहीं पड़ती, जो चंद सिक्कों के लिए,धर्म,जाति,समुदाय को सर्वोंपरी मानते हुए,निष्पक्ष और सच लिखने वाले लोगों को डराने धमकाने की नाकाम कोशिश करने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे साथियों को मेरी सलाह है। कि सबसे पहले स्वतंत्र होकर लिखने की एक कोशिश तो करके दिखाएं, ओर तब बताएं कि किसने प्रेस की स्वतंत्रता को बंधक बनाकर रखा है?
अब कुछ साथी कहेंगे कि जिस संस्थान में काम करते हैं,उनमें सच छापने का साहस नहीं है,साथ ही नौकरी जाने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। मेरी नज़र में यह सब बहाने बनाने जैसी बात होगी। सच छापने वाले इतने सारे प्लेटफार्म हैं कि जहां बिना किसी रोकटोक कर आप स्वतंत्र रूप लिख सकते हैं। फिर भी कोई खतरा है तो आप छद्म नाम से लिख कर शासन,प्रशासन को आइना तो दिखाने का काम कर सकते हैं।