आग़ाज़-2024:कानपुर में सज़ी ग़ज़लों की यादगार महफ़िल
कानपुर. ( स्वप्निल तिवारी). नववर्ष के स्वागत में आयोजित विशेष कार्यक्रम ‘आगाज-2024’ में गजलों की यादगार महफिल सजी। यूनाइटेड पब्लिक स्कूल के शतरंज स्टेडियम में ‘शालिनी स्कूल एंड कल्चरल सोसाइटी’ के बैनर तले इस समारोह का मुख्य उद्देश्य गम हुआ जा रही गजल गायकी को पुनर्जीवित करना और नई पीढ़ी को इस कला से जोड़ना था।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रही प्रसिद्ध ठुमरी और ग़ज़ल डॉक्टर डॉ. शालिनी वेद त्रिपाठी , अपने सुरों से कलश को मंत्रमुग्ध कर दिया। हसरत जयपुर के मशहूर जादूगर “जब प्यार नहीं है तो प्यार क्यों नहीं देते” से प्रोग्राम का अग़ाज़ा हुआ, जिसे शोलों ने तालियों की गद्दी पर बिठाया।
इसके बाद डॉ. शालिनी ने सूफी, रोमांटिक और शास्त्रीय शायरों के चुनिंदा कलामों को अलग-अलग रागों में पिरोकर पेश किया। बशीर बद्र, शकील खानदानी, जॉन आलिया, कुमार स्कोडेन, साहिर लुधियान और फैज़ जैसे दिग्गज शायरों की गजलें दर्शकों को साहित्य और संगीत की गहराई में ले गईं।
इस दौरान प्रयोग. शालिनी ने हर गजल के राग और व्याख्यात्मक वर्णन करते हुए इसे एक पाठ्यपुस्तक कार्यक्रम के रूप में भी दिया। उनके साथ डॉ. निशांत, सारंगी पर जीशान खान, हारमोनियम पर प्रिंस सिंह, कीबोर्ड सिंथेस बैजल पर ऋषिराज और पैड पर रोशन ने शानदार संगत की।
कार्यक्रम में नए उभरते गायक मोहित को भी मंच प्रदान किया गया। डॉ. शालिनी ने कहा, ”वर्तमान में गजल गायकी की परंपरा कम हो रही है। ‘आगाज़’ इसी कला को अपने पुराने गौरव में वापस लाने का एक प्रयास है।
करीब दो घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम का सफल ऑपरेशन रुपीना मिश्रा ने किया। इस अवसर पर डॉ. वेद प्रकाश त्रिमूर्ति, डॉ. रीता वर्मा एवं प्रो. डॉ. इंद्र मोहन रोहतगी सहित कई कट्टरपंथी व्यक्तित्व उपस्थित थे।
‘आगाज-2024’ में न सिर्फ सुरों के जादू से बंधे बल्कि गजल गायकी की समृद्ध परंपरा को जीवंत कर एक नई पीढ़ी को जोड़ने की महत्वपूर्ण पहल की गई।