क्या आप भी नहीं जानते ॐ शब्द का अर्थ ?
कूड़ेदान में पड़े रसगुल्ले के डिब्बे पर लिखा था “ॐ
*संसार में भूत, भविष्य और वर्तमान काल में एवं इनसे भी परे जो हमेशा हर जगह मौजूद है, वो ॐ है। यानी ॐ इस ब्रह्मांड में हमेशा से था, है और रहेगा।*
लखनऊ। चित्र में दिखाया गया मिठाई का डिब्बा रसगुल्ले का है। इस पर आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दाहिने और बाएं किसी भी स्थान पर कंपनी, दुकान, शहर, प्रदेश का नाम नहीं लिखा है (हालांकि जानकारी जरूर मिली है कि ये जिला पश्चिम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का है)। यही नहीं, डिब्बे पर वजन और कीमत तक का उल्लेख भी नहीं किया गया है। किसी ने खरीद कर किसी को भेंट किया और वहां रसगुल्लों का उपभोग कर डिब्बा कूड़ेदान के हवाले कर दिया गया। देने और लेने वाले किसी अन्य समाज, बिरादरी के होते तो बात समझ में भी आती, लेकिन जब सनातन धर्मी हिंदू परिवारों में ही ऐसा होगा तो यह नासमझी और पतन के रास्ते का बेहद खास उदाहरण ही कहा जाएगा?
डिब्बे पर अंग्रेजी में लिखा है कि KEEP BENGALI SWEETS IN REFRIGERATED CONDITION AND CONSUME SAME DAY (बंगाली मिठाइयों को फ्रिज में रखें और उसी दिन खाएं)
*अनन्त शक्ति का प्रतीक है ॐ*
ओम सिर्फ एक पवित्र ध्वनि ही नहीं, बल्कि अनन्त शक्ति का प्रतीक है। ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है… अ, उ व म। “अ” का अर्थ होता है उत्पन्न होना, “उ” का अर्थ होता है उठना यानी विकास और “म” का अर्थ होता है मौन हो जाना यानी कि ब्रह्मलीन हो जाना। ॐ शब्द इस दुनिया में किसी न किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है।
*उस एक के मुख से निकलने वाला पहला शब्द*
ओ३म् (ॐ) या ओंकार परमात्मा, ईश्वर, उस एक के मुख से निकलने वाला पहला शब्द है, जिसने इस संसार की रचना में प्राण डाले। ॐ, ओम की तीन मात्राएं हैं। अकार, उकार, और मकार, जो प्रकृति के तीन गुणों को बताती हैं। अकार सतोगुण को, उकार रजोगुण को तथा मकार तमोगुण की प्रतीक है।
*ॐ शब्द का उच्चारण क्या है?*
ॐ मात्र एक शब्द नहीं बल्कि अपने आप में एक पूर्ण मंत्र है। यह लगता आसान है पर उतना ही मुश्किल इसका उच्चारण है। ॐ बोलने पर ‘अ’ से निचले भाग (नाभि के हिस्से में) में कंपन होता है, ‘ऊ’ से शरीर के मध्य भाग (छाती के क़रीब) में कंपन होता है और ‘म’ से शरीर के ऊपरी भाग (गले) में कंपन उत्पन्न होता है।
*कैसे हुई ॐ शब्द की उत्पत्ति?*
कुछ मान्यताओं के अनुसार ॐ की उत्पत्ति शिव के मुख से हुई। हालांकि ऋग्वेद और यजुर्वेद से लेकर कई उपनिषदों में ॐ का जिक्र मिलता है। मंडूक उपनिषद में कहा गया है कि संसार में भूत, भविष्य और वर्तमान काल में एवं इनसे भी परे जो हमेशा हर जगह मौजूद है, वो ॐ है। यानी ॐ इस ब्रह्मांड में हमेशा से था, है और रहेगा।
*आखिर क्या है ॐ*
ॐ एक पवित्र ‘मंत्र’ है। इसे एक सार्वभौमिक ध्वनि माना जाता है, जो किसी विशिष्ट धर्म या भगवान के संदर्भ के बिना सभी शब्दों का बीज है। बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार, ओम वह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जिसने ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत की । यह पवित्र शब्दांश केवल एक ध्वनि नहीं है, यह वास्तव में तीन हैं।
इसे हिंदू धर्म में पूजा, ध्यान और जप के लिए उपयोग किया जाता है। ओम एक संस्कृत शब्द है, जिसे तीन ध्वनियों के एक संयोजन से बनाया जाता है – अ, उ और म। अर्थात, इसे ऐसे उच्चारित किया जाता है – ओ३म्। इसका अर्थ है – ब्रह्म।
*वास्तविक अर्थ*
सांस और ध्वनि के लुप्त हो जाने पर हमारे पास जो अवशेष या ऊर्जा बचती है। शांति से उत्पन्न होना, स्थिरता द्वारा बनाए रखा जाना और वापस शांति में लुप्त हो जाना… ओम इस तथ्य का प्रतिनिधित्व करता है कि सब कुछ लगातार बदलता रहता है – गति से शांति में, ध्वनि से शांति में; जीवन का अंतहीन चक्र ….
*राम और ॐ में क्या है अंतर*
वैसे तो ॐ और राम में कोई भेद नहीं है दोनों को अगर देर तक उच्चारण करें तो पाएंगे एक ही ध्वनि स्फुरित हो रही है, परंतु ॐ शब्द उकार, इकार, मकार से जबकि राम शब्द रकार , अकार , मकार से बना है । ॐ त्रिगुणात्मक है (सत रज तम ) जबकि राम शब्द त्रिगुणातीत है ।