धर्म का पहला सबसे बड़ा पर्व है चैत्र नवरात्र
चैत्र नवरात्र नवरात्र पर विशेष आलेख
ओम प्रकाश चौहान, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ग्रेटर नोएडा
भारत सनातन एवं विभिन्न संस्कृति वाला देश है, जहां हर धर्म के पर्व अपने रीति-रिवाज के साथ मनाया जाते हैं। इन पर्व में चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व होता हैI भारत में प्रतिवर्ष 4 बार नवरात्रि के त्यौहार आते हैं। जिनमें से दो बार गुप्त नवरात्रि पड़ती हैं, एक बार चैत्र और एक बार शारदीय नवरात्रि का त्यौहार आता है। हिंदू धर्म में वर्ष का पहला सबसे बड़ा पर्व चैत्र नवरात्रि ही होता है। चैत्र नवरात्रि का महत्व और इसे पीछे की कथा के अनुसार चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा का अवतरण हुआ था। असल में, ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त कर दैत्य महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग तक कर लिया था। दानवों के आक्रमण और दुराचार की वजह से देवी-देवता भी परेशान रहने लगे थे। एक समय ऐसा भी आया कि जब महिषासुर की सेना ने देवताओं के राजा इंद्र की सेना पर विजय हासिल कर उनका सिंहासन छीन लिया था। महिषासुर के इस दुस्साहस के कारण भगवान शंकर और भगवान विष्णु क्रोधित हुए, महिषासुर का अंत करने के लिए देवी शक्ति को जन्म देने का विचार बनाया गया। देवताओं की सभा हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि सभी देवी-देवताओं के तेज से एक ऐसी देवी को उत्पन्न किया जाएगा, जो महिषासुर ही नहीं बल्कि और कई असुरों का नाश करेगी। ऐसे में भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख, भगवान विष्णु के तेज से देवी की भुजाएं, यमराज के तेज से देवी के बाल, चंद्रमा के तेज से देवी के स्तन और ब्रह्माजी के तेज से देवी के चरण बनें। केवल अपना तेज ही नहीं देवी-देवताओं ने अपने शस्त्रों को भी देवी को अर्पित किया। जिसकी मदद से देवी ने महिषासुर का वध किया।
देवी और महिषासुर की लड़ाई नौ दिन चली। देवी के भव्य स्वरूप को देखकर महिषासुर भयभीत हो गया था। मगर उसने डर कर अस्त्र शस्त्र नहीं त्यागे और आपनी सेना लेकर देवी युद्ध करने पहुंच गया। देवी ने महिषासुर के सभी असुरों को परास्त कर दिया। इसके बाद महिषासुर की माता देवी से युद्ध करने आए तो मां दुर्गा ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसका अंत कर दिया। यह नवरात्रि का अंतिम दिन था यानि अपने अवतरण के नौवें दिन देवी ने असुर का अंत किया और तब से चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।