हाइलाइट्स

समुद्र से बहने वाली हवा जब आगे बढ़ती है तो हिमालय के पास अटक जाती है
केवल दिल्ली ही क्यों, पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक यही हालात रहते हैं

अक्टूबर के पहले पखवाड़े के गुजरते ही हर साल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है. स्मॉग की स्थिति बनने लगती है. दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह पिछले एक सप्ताह से स्मॉग की धुंध गहराकर छाई हुई है, वो एक तरह से सर्दियों में दिल्ली और एनसीआर की पहचान बन चुका है. इसकी वजह पराली जलाना, धुल, कंस्ट्रक्शन, वाहन के धुएं से पैदा हुए वायु प्रदूषण को बताया जाता है. वैसे इन सब वजहों के साथ इस क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति भी कुछ हद तक इस तरह के स्मॉग के लिए जिम्मेदार है.

दूसरे शहरों के क्या हैं हाल
दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग के इस कारण को समझने के लिए पहले थोड़ा उन शहरों के बारे में देखना होगा, जहां दिल्ली जितनी ही गाड़ियां और कारखाने हैं. जैसे चेन्नई को ही लें तो ये महानगर चारों ओर से ऐसे शहरों से घिरा है, जहां ऑटोमोबाइल का काम सबसे ज्यादा होता है. खुद चेन्नई को ऑटोमोबाइल कैपिटल कहा जाता है.

ऑटोमोबाइल और कारखानों की भरमार 
गाड़ियों के अलावा तमिलनाडु में कई कारखाने हैं जो कोयले से चलते हैं. खुद चेन्नई में दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु के बाद सबसे ज्यादा वाहन हैं. इसके बाद भी चेन्नई की हालत दिल्ली से कहीं बेहतर है. वहां सर्दियों में स्मॉग का डर नहीं रहता, बल्कि वहां की हवा में प्रदूषण का स्तर औसत से कुछ कम ही है.

चेन्नई को समुद्री शहर होने का फायदा
तमिलनाडु के चेन्नई में प्रदूषण न होने की वजह है उसकी भौगोलिक स्थिति. समुद्री तट होने के कारण यहां से चलने वाली समुद्री हवा प्रदूषण को खत्म कर देती है. खासकर बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवा लगातार शहर की सफाई का काम करती है.

दिल्ली की हवा धीमी
दूसरी तरफ दिल्ली जैसे शहरों की ये भौगोलिक स्थिति नहीं है. इसकी स्थिति ऐसी है, जो यहां प्रदूषण को कम नहीं होने देती. क्वार्ट्ज की एक रिपोर्ट इस बारे में विस्तार से बताती है. इसके मुताबिक दिल्ली में सर्दियों में जो हवा चलती है, उसकी रफ्तार 1 से 3 मीटर प्रति सेकंड होती है. ये चेन्नई की औसत वायु गति से कहीं कम है.

ठंड में बढ़ता है प्रदूषण
हवा के धीरे बहने के कारण इसमें मौजूद धूल-मिट्टी के कण जहां के तहां रहते हैं. यही हवा में इकट्ठा होकर स्मॉग कहलाते हैं. ये हालात गर्मियों में कुछ बेहतर होते हैं. बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में ठंड में प्रदूषण का स्तर 40 से 80 प्रतिशत तक ज्यादा हो जाता है, जबकि सालभर ये कंट्रोल में रहता है.

इन मुश्किलों के बीच है बसा हुआ
दिल्ली की हालत खराब करने में एक दूसरी वजह भी जिम्मेदार है. ये थार मरुस्थल के उत्तर-पूर्व में स्थित है. उत्तर-पश्चिम में मैदान है, जबकि दक्षिण-पश्चिम में हिमालय की श्रृंखला है. ऐसे में समुद्र से बहने वाली हवा जब आगे बढ़ती है तो हिमालय के पास अटक जाती है. हवा का दबाव उसे आगे बढ़ने को कहता है. इसी तनातनी में प्रदूषित हवा दिल्ली के आसमान पर छा जाती है. केवल दिल्ली ही क्यों, पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक यही हालात रहते हैं.

लॉस एंजिल्स में भी दिल्ली जैसी हालत
भौगोलिक स्थिति के कारण होने वाली ये समस्या दिल्ली-एनसीआर के साथ ही नहीं, बल्कि इस तरह से बसे सारे शहरों की है. यहां तक कि अमेरिकी शहर लॉस एंजिल्स भी इस परेशानी से बचा नहीं है. ये घाटी इलाका है, जिसके कारण हवा का बहाव तेज होने के बाद भी प्रदूषण यहां बना रहता है.

लॉस एंजिल्स के प्रदूषण का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 1540 में जब वाहन-कारखाने भी नहीं थे, तब एक स्पेनिश कैप्टन यहां आया. उसने यहां की दमघोंटू हवा के कारण शहर को नाम दे दिया- Baya de los Fumos यानी धुएं की खाड़ी.

ये देश भी संकट में 
इसी तरह से अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण ने केवल दिल्ली, बल्कि पूरा भारत ही प्रदूषण की चपेट में रहता है. हमारे देश के अलावा लीबिया, इजिप्ट, सऊदी अरेबिया, इरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी प्रदूषण से त्रस्त हैं.

‘स्मॉग’ है क्या
साल 1905 में स्मॉग शब्द चलन में आया जो अंग्रेजी से फॉग और स्मोक से मिलकर बना है. डॉ हेनरी एंटोनी वोयेक्स ने अपने पेपर में इसका जिक्र किया, जिसके बाद से ये टर्म कहा-सुना जाने लगा.आमतौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है. ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है. तब ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा ने पूरे शहर को एक कंबल की तरह लपेट लिया है.

Tags: Air pollution in Delhi, AQI, Delhi AQI, Pollution AQI Level, Smog

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Author: Target Tv

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