बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी भारत की ही नहीं अपितु विश्व के विभिन्न कला, एवं सांस्कृतिक राजधानी है : स्वामी कैलाशानंद

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बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी भारत की ही नहीं अपितु विश्व के विभिन्न कला, एवं सांस्कृतिक राजधानी है- स्वामी कैलाशानंद

वाराणासी।  अस्सी घाट पर अनवरत गतिमान आध्यात्मिक सांस्कृतिक अनुष्ठान “सुबह ए बनारस” के नौ वर्ष पूर्ण होने पर स्थापना दिवस के अवसर संत, महंत,विद्वान आचार्यो ने वैदिक मंत्रो से ब्रम्हमुहूर्त में हवन पुजन कर संतो के उपस्थिति में सप्त बटुको ने गंगा आरती किया।
कार्यक्रम का आरम्भ स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने वाराणसी के प्रतिष्ठित सन्तसमाज और उपस्थित विशिष्ट जनसमुदाय के बीच सम्बोधित करते हुए कहा कि भूतभावन भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व की सभी कला, विद्याओं, शाखाओं ,प्रशाखाओ की बीज बीजस्थली है । यहीं से गीत-संगीत के साथ सर्व विद्या अंकुरित होकर, पुष्पित-पल्लवित होती हो। और भारत सहित विश्व में काशी त्रैलोक्य न्यारी हैं। गंगा माई के पावन पुलिन पर नौ वर्ष पहले आरम्भ किया गया, प्रातःकालीन आरती-दर्शन, यज्ञविधान और योगक्रियाए विश्व कल्याण और मानवता की रक्षा के लिए है ।
पूर्व मंत्री और शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी ने अतिथि संतो का परिचय कराते हुए “सुबह ए बनारस” की गरिमा का बखान किया। और संत समागम संत मिलन के महत्व को बड़े ही विस्तार से प्रकाश डाला।
स्थापना दिवस पर आचार्य महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़ा पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ,
कैलाश मठ नासिक के पीठाधीश्वर स्वामी संविदानंद जी महाराज , हरिद्वार के कामेश्वर पुरी जी महाराज
काशी के अन्नपूर्णा मंदिर के महंत श्री शंकर पुरी जी महाराज एवं धर्म संघ वाराणसी के जगजीतन जी महाराज तथा पाताल पूरी मठ के पीठाधीश्वर बालक नाथ दास जी महाराज संत महंतो के साथ विख्यात कथावाचक
डॉ पुंडरीक शास्त्री जी महाराज ,डॉ अरविन्द नारायण मिश्र के उपस्थित थे।
संतों ने पुष्पांजलि कर बाबा विश्वनाथ, मां गंगा का जयकारे के मध्य उदीयमान भास्कर को जल अर्घ्य देकर पूजन सम्पन्न किया ।
तत्पश्चात काशी के युवा प्रतिभावान कलाकारो ने काशी नाद वाद्य वृन्द के द्वारा दर्शको को रस विभोर किया ।सहभागी कलाकारो में वंशी वादन पर डॉ शनीष ज्ञावली एवं डॉ संदीप केवले घटम पर श्री आदित्य दीप, पखावज पर श्री आनंद मिश्र, सितार पर श्री पंकज राय तबला वादन के साथ सहभागी रहे। साथ ही डॉ वी सत्यवर प्रसाद मृदंगम पर संगत कर रहे थे।वाद्य प्रस्तुति का आरम्भ हुआ राग ललित में तीनताल में निबद्ध रचना से समापन हुआ धुन से।
कलाकारों को प्रमाणपत्र दे कर आशीर्वाद प्रदान किया।
अतिथियो का स्वागत “सुबह ए बनारस” के संस्थापक सचिव डॉ रत्नेश वर्मा ने किया । संतो का अभिनंदन अंगवस्त्रम तथा माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया सुबह ए बनारस के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य तथा डॉ वीरेंद्र प्रताप सिंह ने किया।
उपाध्यक्ष श्री प्रमोद कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ प्रीतेश आचार्य के सहयोग ने किया।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉक्टर सरोज चूड़ामणि. श्री विनय तिवारी. श्रीमती मंजू मिश्रा,श्री श्याम केशरी ,श्री अभय श्रीवास्तव एवं श्री कृष्ण मोहन पाण्डेय सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।

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