गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग लगने का खतरा
महेश शर्मा
धामपुर। रबी सीजन में गेहूं की फसल तैयार हो रही है।फिलहाल सर्दी के चलते फसल में पीला रतुआ रोग लगने का खतरा पैदा हो गया है।इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को नुकसान से बचाव के लिए तरीके बताए जा रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक गेहूं एवं जौ के लिए एडवाइजरी जारी कर रहे है। इसमें बताया गया है कि वर्तमान में जो मौसम चल रहा है,उसमें गेहूं में पीला रतुआ रोग लगने की संभावना बढ़ गई है।इसके लिए किसानों को जागरूक रहने के लिए कहा गया है।उन्होंने पीला रतुआ रोग के लक्षण के बारे में बताया कि यह फफूंदजनित रोग है।इसके लगने से गेहूं की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं। दरअसल,इस रोग के होने पर गेहूं के पत्तियों पर पीले रंग का पाउडर जैसा बनने लगता है,जिसे छूने से पीला पदार्थ निकलता है और कई बार हाथ भी पीले हो जाते हैं। अगर इस रोग को सही समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो बाद में यह हवा और पानी के माध्यम से पूरे खेत व क्षेत्र में फैल जाता है।इसके लगने से गेहूं की उपज में काफी गिरावट आती है और किसानों को नुकसान होता है।कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देते ही फसल में फफूंदनाशक प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करें।इसकी मात्रा 200 मिली लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोल कर बनाएं और फसल पर स्प्रे करें। साथ ही फसल की नियमित निगरानी रखें।खासकर उन फसलों की जो पेड़ों के आसपास बोई गईं हों।
उन्होंने बताया कि एडवाइजरी जारी होने के बाद गांवों में टीमें भेजकर रोग के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है।